
Awareness program for students: नवरात्रि 'दुर्गा' जागरूकता कार्यक्रम, एक महत्वपूर्ण सामाजिक कदम
Awareness program for students: कल से शुरू हुए नवरात्रि (Navratri 2023) के दौरान माताजी के भक्त मंदिर जाकर माताजी की पूजा कर रहे हैं या व्रत रख रहे हैं। सूरत का एक समूह गरीब और मध्यम वर्ग की किशोरियों को जागरूकता देकर माताजी की आराधना कर रहा है।
नवरात्र के दौरान होम चैरिटेबल ट्रस्ट(Hope charitable trust) ने स्कूलों में जाकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर छात्राओं को पीरियड्स और गुड टच व बैड टच के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया। यह ट्रस्ट शहर में 365 दिनों की सेवा गतिविधि से विभिन्न त्योहारों या आपदाओं के दौरान गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की मदद करने के लिए काम करती है।
स्कूलों में इस संवेदनशील विषय पर व्यापक जागरूकता लाने के लिए इस अभियान की रूपरेखा तैयार की है। दुर्व्यवहार को रोकने के लिए नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाली गरीब और मध्यम वर्ग की लड़कियों को जागरूक किया। इसके बारे में बच्चियों के बीच काफी जानकारी देने की जरूरत है। ताकि भविष्य में उन्हें ऐसी किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
विद्यार्थियों को दी गई जानकारी
आज के समय में जानकारी की कमी के कारण विद्यार्थी अक्सर बाल शोषण(Child abuse) का शिकार होते हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि ऐसी कोई घटना होने से पहले ही छात्रों को जागरूक किया जाए। कई बार छात्रों को पहले तो यह बात समझ में नहीं आती, जब कई लोग उन्हें कारण समझाते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी समझाना जरूरी है कि मासिक धर्म के दौरान भी किस तरह की देखभाल करनी चाहिए। ताकि भविष्य में उन्हें कोई बड़ी बीमारी न हो।
दस दिनों के दौरान हम कई स्कूलों में पहुंचेंगे: जिग्नेश
गांधी होप चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक जिग्नेश गांधी ने कहा, हम साल भर कार्यक्रम में ऐसा करते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान हम इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं। यह महसूस करते हुए कि छात्रा माँ दुर्गा का अवतार हैं, हम लगातार उन्हें अच्छे स्पर्श की जानकारी देते हैं और उन्हें सैनिटरी पैड का उपयोग करना सिखाते हैं। साथ ही किसी भी बात को लेकर भ्रमित हुए बिना सारी बातें शिक्षकों और अपने माता-पिता के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यदि अभी से ही बच्चों को बिना झिझके सभी चीजों की सही जानकारी मिलेगी तो हमारे देश की युवा पीढ़ी का भला हो सकेगा।
संस्थान की एक महिला सदस्य चेलना जैन ने कहा कि यह वह उम्र है जिसमें एक किशोरी लड़की जिसे पहली बार मासिक धर्म का अनुभव होता है। ऐसी लड़कियों को उचित समझ देने के साथ-साथ उन्हें सेनेटरी नैपकिन दिए गए और शरीर के अंगों की देखभाल कैसे करनी है, इसकी समझ दी गई।
उनका मानना है कि देवी स्वरूप किसी बच्ची की मदद कर पाना ही सच्चे अर्थों में मां की पूजा करना है।
Navratri 2023, Hope charitable trust, child abuse
Published on:
17 Oct 2023 05:04 pm
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