13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

EXCLUSIVE- अंधेरे और घुटन भरी जिंदगी में रहने की जद्दोजहद

मुख्यमंत्री आवास योजना का काला सच, वेसू क्षेत्र के मकानों में दिन में भी रहता है अंधेरा मनपा अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक कर चुके हैं शिकायत

3 min read
Google source verification
SURAT PHOTO

सूरत.

जिस योजना को मनपा अपनी सफल योजनाओं में शामिल कर पीठ थपथपाती है, उसी योजना के कुछ लाभार्थियों के छलकते दर्द को महसूस कर लिया जाए तो हकीकत समझ में आ जाएगी। साहित्यकार मोहन राकेश कृत उपन्यास अंधेरे बंद कमरे का वास्तविक चित्रण मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत वेसू में बने कुछ मकानों में देखने को मिलता है। यहां दिन में भी लाइट जलाने की जरूरत पड़ती है, तो घुटन से उबरने के लिए रात में भी दरवाजा खोलना विवशता है।


वेसू क्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत स्कीम वन में मनपा ने 21 टावर में 1,344 फ्लैट बनवाए हैं। इस कैम्पस में न तो पर्याप्त खुली जगह है, न बच्चों के खेलने का स्थल। पूरे कैम्पस में करीब एक हजार बच्चे हैं, जो शाम को खेलने के लिए जगह खोजते नजर आते हैं। इसके अलावा जिनके आवास मुख्य या अंदरूनी सड़क की फ्रंट साइड में हैं, उनके फ्लैट में हवा-उजास की कमी नहीं है, लेकिन ई और एल बिल्डिंग के एक हिस्से में जितने भी फ्लैट हैं, वहां अंधेरा कायम है। हवा और रोशनी के बिना लोग घुटन भरी जिंदगी जीने को विवश हैं। निवासियों के अनुसार बिल्डर ने यहां दो बिल्डिंग के कोने को एक साथ मिला दिया है, जिससे इनके किचन, लिविंग रूम में अंधेरा हो गया है। इसके अलावा प्रवेश द्वार भी गलियारे में होने की वजह से यहां भी अंधेरा रहता है। बिल्डर ने प्रत्येक फ्लोर पर आठ फ्लैट बनाए हैं, इसके लिफ्ट और सीढ़ी का कॉमन रास्ता गलियारे की तरह है। इस वजह से पीछे की साइड के चार फ्लैट वालों के दरवाजे के सामने भी अंधेरा रहता है।


दो बिल्डिंग के बीच नहीं छोड़ी खुली जगह
जिस तरह निजी अपार्टमेंट में दो बिल्डिंग के बीच हवा और रोशनी के लिए जगह छोड़ी जाती है, मुख्यमंत्री आवास योजना में इसका घोर अभाव दिखता है। एलआईजी स्कीम वन में ए से आर तक 18 टावर हैं, इन्हें नौ भाग में बांट कर हर जगह दो-दो बिल्डिंग को जोड़कर बनाया गया है। बाकी की तीन बिल्डिंग अलग बनी हैं। इस तरह सभी बिल्डिंग का वह हिस्सा जिसके पीछे दूसरी बिल्डिंग हैं, वहां अंधेरा पसरा रहता है। निवासियों को दिन में भी लाइट जलानी पड़ती है।

आर्किटेक्ट समेत डिप्टी कमिश्नर का दौरा
बिल्डिंग में बुनियादी डिजाइन की गड़बड़ी की जानकारी से मनपा के आला अधिकारियों तक की नींद उड़ी हुई है। मुख्यमंत्री आवास योजना का पहला ड्रॉ एक दिसम्बर, 2014 को तत्कालीन शहर विकास मंत्री शंकरराय चौधरी की उपस्थिति में इसी स्थल पर हुआ था। मनपा प्रशासन ने यहां सैम्पल फ्लैट भी बनाकर लोगों को देखने के लिए रखे थे, लेकिन यह फ्लैट फ्रंट साइड में था। इस योजना के अधिकांश लाभार्थियों की ओर से हवा-उजास नहीं आने की शिकायत के बाद प्रशासन के आला अधिकारियों ने यहां दौरा कर इसका उपाय ढूढऩे की कोशिश की। बताया जाता है कि डिप्टी कमिश्नर केतन पटेल और डिप्टी कमिश्नर सी.वाई.भट्ट भी लोगों की समस्या देखने एल और ई बिल्डिंग में जा चुके हैं। इसके अलावा मनपा प्रशासन ने प्रख्यात आर्किटेक्ट संजय जोशी को भी यहां भेजा था, जिनके सुझाव पर एक फ्लैट में बदलाव लाकर लोगों को इसके लिए राजी कराने की कोशिश की। वहीं, निवासियों ने इसे यह कहकर नकार दिया कि इससे उनके निवास की निजता खत्म होती है।

पता होता तो नहीं भरते फार्म
मनपा की डिजाइन ही गलत है। जिस तरह फ्लैट के मुख्य द्वार पर गलियारे के कारण अंधेरा रहता है, उसी तरह पीछे के हिस्से में दूसरी बिल्डिंग होने से हवा और रोशनी बाधित रहती है। पहले से पता होता तो यहां कभी फ्लैट के लिए आवेदन नहीं करती।
गीता मैसूरिया, एल-105, सुमन सागर, वेसू

खाली फ्लैट का विकल्प दें
जिस तरह प्रशासनिक भूल की वजह से हमें अंधेरे और वेंटिलेशन बगैर फ्लैट दिए गए हैं, हमें नए फ्लैट दिए जाएं। प्रशासन की गलती के कारण सैकड़ों परिवार के लोगों को अंधेरा और घुटन सहने को विवश होना पड़ रहा है।
चंद्रिका, ई-105, सुमन सागर, वेसू

मुख्यमंत्री तक लगाई गुहार
घर नुं घर का सपना तो साकार हुआ, पर इसके कोई मायने नहीं रह गए हैं। बिल्डर और प्रशासन के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से लोगों के आवास घुटन भरे और अंधकार युक्त बने हैं। अधिकारियों को यदि इन घरों में रहने को कहा जाए, तो वह एक दिन भी यहां रहना पसंद नहीं करेंगे। हमने विधायक, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन सभी में संवेदना की कमी है।
पंकज मिश्रा, सुमन सागर, वेसू