
मध्यरात से दशा मां की विदाई शुरू
सूरत. घर-परिवार और समाज-राष्ट्र की दशा एवं दिशा सुधारने के लिए दस दिवसीय दशा माता व्रत-आराधना पर्व की पूर्णाहुति सोमवार देर रात हो गई। पूर्णाहुति के साथ ही खुशहाली की कामना के साथ दशा माता की प्रतिमाओं को विदाई देने का क्रम शुरू हो गया जो कि मंगलवार को भी चलेगा। वहीं, मध्यरात श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों के साथ माता की प्रतिमा को विदाई देने तापी नदी के विभिन्न घाटों पर पहुंचे।
दशा माता व्रत-आराधना के पर्व की शुरुआत दस दिवस पूर्व श्रावण अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु महिलाओं ने बाजे-गाजे के साथ की थी। इस दौरान घर, सोसायटी एवं अन्य स्थलों पर विधि-विधान से स्थापित दशा माता की प्रतिमा के समक्ष व्रती महिलाओं ने नियमित पूजा-अर्चना, भोग, कथा श्रवण के कार्यक्रम के अलावा गरबा नृत्य के आयोजन किए। दस दिवस तक चला पूजा का दौर सोमवार मध्यरात को जाकर थमा। दस दिवसीय आराधना की पूर्णाहुति होने के साथ ही श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों के साथ दशा माता की प्रतिमाओं को विदाई देने के लिए तापी नदी के नावड़ी घाट, उमरा घाट, रामजी घाट समेत अन्य घाटों पर पहुंचे। माता को विदाई देने का दौर मध्यरात से मंगलवार दोपहर तक चलेगा। प्रतिमा विसर्जन प्रक्रिया के दौरान श्रद्धालुओं ने घाट पर माता की पूजा-आराधना की और सर्वत्र खुशहाली की कामना के साथ प्रतिमा को विसर्जित किया। शहर के अधिकांश क्षेत्र में दशा माता की हजारों प्रतिमाओं की स्थापना की गई थी।
प्रशासन ने की तैयारी
दस दिवसीय दशा माता व्रत-आराधना पर्व पूर्ण होने के उपलक्ष में प्रतिमा विसर्जन की तैयारियों में महानगरपालिका प्रशासन ने तापी नदी के नावड़ी घाट समेत अन्य घाटों पर कृत्रिम घाट बनाकर विसर्जन की व्यवस्था की। नदी में पानी की कमी से ड्रम का ब्रिज बनाकर प्रशासन ने प्रतिमा विसर्जन की व्यवस्था घाट पर की है।
श्रावण सोमवार पर जलाभिषेक
उत्तर भारतीय पंचांग के मुताबिक पवित्र श्रावण मास के अंतिम सोमवार पर शहर समेत आसपास के शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी। वहीं, सैकड़ों कांवडिय़ों ने कई किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके बाबा भोलेनाथ को कांवड़ चढ़ाकर अपनी श्रद्धाभक्ति का परिचय दिया। कांवड़ यात्रा सूरत से 40 किलोमीटर दूर ओलपाड में पौराणिक सिद्धनाथ महादेव मंदिर भी पहुंची। यहां इन दिनों श्रद्धालुओं का मेला लगा हुआ है। वहीं, स्थानीय श्रद्धालु भी सोमवार को शहरभर के शिवालयों में जलाभिषेक के लिए पहुंचे। इनके अलावा कानबाई का त्योहार मना रहे मराठी समाज की महिलाओं व युवतियों ने भी सोमवार को शिवालयों में जलाभिषेक, पूजा-अर्चना की।
Published on:
20 Aug 2018 09:36 pm
बड़ी खबरें
View Allसूरत
गुजरात
ट्रेंडिंग
