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सूरत।सूरत शहर और जिले में दो दर्जन लोगों की मौत का कारण बनी जहरीली शराब बनाने का आइडिया देने वाले दीपक पंडित को एटीएस ने गिरफ्तार कर बुधवार शाम 27 सितम्बर तक रिमांड पर लिया है। एटीएस के सहायक पुलिस आयुक्त बी.एम. देसाई ने बताया कि उत्तरप्रदेश के फैजाबाद का मूल निवासी दीपक पंडित बतौर खलासी काम करता है। वह पहले मुंबई की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मीथेनॉल की सप्लाई करने वाले टैंकरों पर काम करता था।
उस दौरान उसे मीथेनॉल से शराब बनाए जाने के बारे में पता चला। उसी ने मूल फैजाबाद तथा यहां कडोदरा में रहने वाले रामू यादव को हाईवे के एक ढाबे पर मुलाकात के दौरान मीथेनॉल से शराब बनाने के बारे में पूरी जानकारी दी थी। उसने कडोदरा क्षेत्र से मीथेनॉल के टैंकर लेकर गुजरने वाले कैलाश तिवारी और मनोज वर्मा से रामू की पहचान करवाई थी। उन्होंने ही रामू को मीथेनॉल उपलब्ध करवाया, जिससे उसने बड़े पैमाने पर जहरीली शराब तैयार की।
रामू से पूछताछ में दीपक के बारे में पता चलने पर एक टीम फैजाबाद भेजी गई थी, जो स्थानीय पुलिस की मदद से उसे गिरफ्तार कर मंगलवार देर रात सूरत ले आई। उसने मीथेनॉल से शराब बनाना कब, कहां और कैसे सीखा, इस बारे में पूछताछ के लिए उसे बुधवार शाम पलसाणा कोर्ट में पेश कर छह दिन के रिमांड पर लिया गया है।
आलाधिकारियों समेत कई लाइन हाजिर
सूरत. सूरत शहर और जिले में तबाही मचाने वाले जहरीली शराब कांड के बाद रेंज पुलिस महानिरीक्षक शमशेर सिंह ने बूटलेगर्स के साथ पुलिसकर्मियों की मिलीभगत के सभी मामलों की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक जहरीली शराब से पहली दो मौतों के बाद बूटलेगर्स के साथ सांठगांठ रखने वाले कडोदरा थाने और लोकल क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों ने इलाके के सभी लिस्टेड बूटलेगर्स को लाइन हाजिर किया था। इनमें मीथेनॉल से जहरीली शराब बनाने वाला रामू यादव शामिल था।
इन लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बजाय पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उन्हें जहरीली शराब नष्ट करने और कुछ समय के लिए भूमिगत होने के लिए कहकर छोड़ दिया था। रामू समेत दूसरे बूटलेगर्स ने इसके बाद मीथेनॉल से तैयार की गई शराब बेची, जिसके कारण वरेली तथा हरिपुरा में एक के बाद एक मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। एटीएस की जांच में यह मामला सामने आने पर कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस उपाधीक्षक ए.बी. वाटलिया को जांच सौंपी गई है। जनवरी में एक आलाधिकारी ने स्थानीय बूटलेगर्स के साथ नियमित हफ्ता (सैक्शन) के बारे में चर्चा की थी, जिसको लेकर एक बूटलेगर के साथ उसका विवाद हो गया था।
उस बूटलेगर ने इस संबंध में शिकायत की थी। उस अधिकारी के खिलाफ तत्कालीन रेंज पुलिस महानिरीक्षक ने जांच शुरू की थी, लेकिन उनका तबादला होने के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई थी। इसके अलावा कई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ बूटलेगर्स के साथ सांठगांठ को लेकर जो शिकायतें मिली थीं, उनकी फिर से जांच शुरू कर दी गई है। पिछले दो दिन से उपाधीक्षक स्तर के अधिकारियों से लेकर कांस्टेबल्स को एक के बाद एक रेंज आईजी कार्यालय में लाइन हाजिर किया जा रहा है।
कार्रवाई जारी रहेगी
&मेरा स्पष्ट तौर पर मानना है कि बिना पुलिसकर्मियों की मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर शराब की बिक्री नहीं हो सकती। अभी तक जिन पुलिसकर्मियों की लिप्तता सामने आई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। आगे भी हमारी यही नीति रहेगी। पड़ताल जारी है। शमशेरसिंह, रेंज पुलिस महानिरीक्षक, सूरत
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