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लोगों को प्राथमिक सुविधाएं देने में मोदी का गुजरात औसत से नीचे

locationसूरतPublished: Apr 03, 2019 10:34:43 pm

एडीआर रिपोर्ट : सात लोकसभा क्षेत्रों में एक-एक सेग्मेंट में ही दिखा बेहतर प्रदर्शन

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लोगों को प्राथमिक सुविधाएं देने में मोदी का गुजरात औसत से नीचे

विनीत शर्मा

सूरत. विकास और सुशासन की जिस नाव पर सवार होकर वर्ष 2014 में उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी वैतरणी पार कर दिल्ली की सत्ता हासिल की थी, उनका गुजरात लोगों तक प्राथमिक सहूलियतों को पहुंचाने के मामले में औसत से नीचे है। एडीआर रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की 26 में से महज सात लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां किसी एक सेग्मेंट में सरकार का प्रदर्शन सराहनीय रहा हो। बेहतर प्रदर्शन के मामले में सूरत समेत दक्षिण गुजरात की एक भी लोकसभा सीट शामिल नहीं है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्स (एडीआर) की सर्वे रिपोर्ट कई चौंकाने वाले खुलासे कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक सीधे लोगों से जुड़े जिन मुद्दों पर सरकार के कामकाज को कसौटी पर कसा गया, मोदी के गुजरात से निराशाजनक तस्वीर सामने आई है। नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहते प्रदेश के विकास का जो खाका देश के सामने पेश किया गया था, उसमें गुजरात देशभर के लिए रोल मॉडल बना था। रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले शीर्ष प्रदेशों में शामिल गुजरात लोगों तक प्राथमिक सुविधाएं पहुंचाने के मामले में पिछड़ता दिख रहा है। प्रदूषण का मामला हो या स्वच्छ पानी, कृषि सहूलियतों, ऊर्जा यहां तक कि रोजगार मुहैया कराने के मामले में भी गुजरात का प्रदर्शन औसत से नीचे है।
गुजरात की चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कृषि क्षेत्र के लिए सरकार के किए गए प्रयास सराहनीय हैं। अहमदाबाद पूर्व, जूनागढ़ और पंचमहाल में कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराने में सरकार का प्रदर्शन बेहतर रहा है तो बनासकांठा में खेती के लिए पर्याप्त बिजली मुहैया कराने में सरकार सफल रही है। इसके अलावा कच्छ लोकसभा क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, जामनगर लोकसभा क्षेत्र में पीने का पानी और गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में रोजगार के बेहतर अवसरों के सृजन में सरकार के कामकाज पर रिपोर्ट सकारात्मक दिखी है।
आर्थिक राजधानी हर मामले में पिछड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा शहरों में शामिल सूरत को गुजरात के अर्थतंत्र की रीढ़ कहा जाता है। रोजाना सैकड़ों लोग रोजगार के लिए प्रदेश की आर्थिक राजधानी सूरत में आते हैं। इसके बावजूद रोजगार की उपलब्धता को लेकर सूरत एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्स (एडीआर) के सर्वे में पिछड़ रहा है। सूरत समेत दक्षिण गुजरात के पांचों लोकसभा क्षेत्रों में एडीआर की रिपोर्ट सरकार के प्रदर्शन को औसत से नीचे बता रही है।
गुजरातियों ने रखा अपना एजेंडा

भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों के चुनाव घोषणापत्र में भले वादों का जिक्र किया जाए, एडीआर टीम के साथ बातचीत में गुजरातियों ने अपना एजेंडा साफ किया है। लोगों ने मुख्य रूप से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, सडक़ों पर यातायात दबाव, कृषि सब्सिडी और कृषि के लिए बिजली-पानी, पेयजल की उपलब्धता, कृषि ऋण समेत जनता से सीधे जुड़े अन्य मुद्दों को प्रमुखता से सामने रखा।
कच्छ को सबसे ज्यादा अंक

एडीआर की रैंकिंग में तीन अंक को औसत प्रदर्शन मानते हुए इससे अधिक अंक को बेहतर और तीन से कम अंक आने पर औसत से नीचे प्रदर्शन का निर्धारण किया गया। लोगों से रायशुमारी के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसमें प्रदेश की सबसे बेहतर हालत कच्छ में रही। लोगों से बातचीत के बाद बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के मानक पर कच्छ को 3.18 अंक हासिल हुए। सबसे निराशाजनक प्रदर्शन सुरेंद्रनगर का रहा, जहां रास्ते पर यातायात दबाव को लेकर 1.51 अंक पर ही संतोष करना पड़ा।

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