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सूरत

SUMUL सहकारी क्षेत्र में बढ़ा राजनीतिक दखल

सुमुल डेयरी चुनाव- भाजपा के ही दो गुट थे आमने-सामने, दोनों गुटों ने कदम पीछे खींचे, सहमति का फार्मूला तय

सूरतAug 02, 2020 / 08:04 pm

विनीत शर्मा

SUMUL

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हितेश माह्यावंशी

बारडोली. कोरोना संक्रमण के बीच जिले में होने जा रहे जिले की दुग्ध उत्पादक संस्था सूरत जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ (सुमुल डेयरी) के चुनाव में राजनीतिक दखल बढ़ रहा है। व्यवस्थापक समिति के चुनाव के लिए भाजपा के ही दो गुट आमने-सामने आ गए थे। प्रदेश प्रमुख सीआर पाटिल के दखल के बाद बीच के फार्मूले पर सहमति बनी और दोनों गुटों ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।
सूरत जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ (सुमुल डेयरी) की व्यवस्थापक समिति के चुनाव होने हैं। इसके लिए सात अगस्त को मतदान होगा। इस चुनाव मे ज्यादातर सीटों पर भाजपा के लोग ही अपनी दावेदारी जताते हुए आमने-सामने है। पार्टी के ही दो गुटों में हो रही इस जंग पर भाजपा हाइकमान भी नजर रखे हुए है। सुमुल के वर्तमान प्रमुख राजेश पाठक के सामने ताल ठोक रहे पूर्व प्रमुख मानसिंह पटेल को प्रदेश के दो मंत्री गणपत वसावा और ईश्वर परमार का समर्थन बताया जा रहा है। चुनाव के लिए राजेश और मानसिंह दोनों के पैनल ने नामांकन भी भर दिए हैं और चुनाव चिन्ह भी आवंटित हो गए हैं।
सबकुछ तय होने के बाद भाजपा की छवि बिगड़ती देख प्रदेश प्रमुख सीआर पाटिल ने दखल दिया तो दोनों ही गुटों में सहमति की संभावनाएं तलाशी जाने लगीं। बताया जा रहा है कि एक फार्मूले पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनती दिख रही है। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने पैनल के कई दावेदारों को अपने नाम वापस लेने की हिदायत दे दी है। जिन्हें नाम वापसी के लिए कहा गया है, उन्होंने अपने क्षेत्र में प्रचार भी शुरू कर दिया है। उनके लिए स्थिति विकट हो गई है। सोशल मीडिया पर अब तक अपने लिए समर्थन मांग रहे दावेदारों को अब समझौते के तहत तय उम्मीदवार के लिए समर्थन मांगना पड़ रहा है।
राजनीतिक दखल का विरोध

जानकारों के मुताबिक संस्था से जुड़े तटस्थ लोगों में बढ़ते राजनीतिक दखल को लेकर बेचैनी है। उनके मुताबिक निष्पक्ष चुनाव से सुमुल ही नहीं कोई भी संस्था अपनी जीवंतता बनाए रखती है। एक पार्टी के दखल के बाद संस्था की निष्पक्षता और राजनीतिक तटस्थता बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा। उनके मुताबिक यह स्थिति सहकारी क्षेत्र के लिए भविष्य में नुकसानदेह साबित होगी।

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