
सूरत. वित्तीय घाटे से जूझ रही सूरत महानगर पालिका को उबारने के लिए बजट २०१८-१९ में ग्रीन इनीशिएटिव टैक्स लगाया गया है। टैक्स की वजह का खुलासा करते हुए मनपा प्रशासन ने बताया कि इससे अर्जित सालाना आठ करोड़ रुपए से उस खर्च की भरपाई होगी, जो मनपा अब तक पर्यावरण संरक्षण के लिए करती आई है।
बजट पेश करते हुए मनपा आयुक्त ने कर दर में अप्रत्याशित वृद्धि करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण टैक्स भी लगाया था। शहर कांग्रेस के प्रभावी विरोध के बाद स्थाई समिति ने कर दर में तो लोगों को बड़ी राहत दी, लेकिन पर्यावरण के नाम पर लगाए गए टैक्स को यथावत रखा। इस टैक्स के प्रारूप और उसके औचित्य को लेकर कई मनपा अधिकारी भी अनभिज्ञ हैं। इस असमंजस को साफ करते हुए मनपा प्रशासन ने मंगलवार को प्रेस रिलीज जारी कर टैक्स लगाने की वजह सामने रखी। मनपा प्रशासन के मुताबिक इस टैक्स का जो स्लैब तैयार किया गया है, उसमें शहर में रह रहे 91 फीसदी लोगों को या तो बाहर रखा गया है या फिर सालाना 30 रुपए का अधिभार लग रहा है। शेष 9 फीसदी लोगों पर 40 से 1250 रुपए सालाना का भार पड़ेगा।
इसकी वजह का खुलासा करते हुए मनपा प्रशासन ने बताया कि बीते कई वर्ष से मनपा टीम पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता बरतते हुए बड़ी राशि खर्च कर रही है। रिन्यूएबल एनर्जी के लिए 30.3 मेगावाट क्षमता के विंड पावर प्लांट और 5 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए हैं। इसके अलावा 4.65 मेगावाट क्षमता के बायोगैस पावर प्लांट लगाए हैं। बिजली की खपत को कम करने के लिए शहरभर में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं।
इसके अलावा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज, सुएट वाटर का ट्रीटमेंट कर रिसाइकिलिंग समेत कई अन्य प्रोजेक्ट्स पर मनपा ने बड़ी राशि खर्च की है। मनपा के लगातार बढ़ते वित्तीय घाटे को देखते हुए इस खर्च की भरपाई जरूरी हो गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए गए टैक्स से होने वाली सालाना आठ करोड़ की आय से इन प्रोजेक्ट्स पर हो रहे खर्च की भरपाई की जाएगी। हालांकि बजट पेश करने के दौरान अधिकारियों का आकलन इस टैक्स से करीब ४० करोड़ रुपए की आय अर्जित करने का था।
नया कुछ नहीं होगा
जिन लोगों को उम्मीद थी कि इस टैक्स से होने वाली आय पर्यावरण संरक्षण के लिए नए उपायों पर खर्च होगी, उन्हें निराशा हाथ लगेगी। रिन्यूएबल एनर्जी और टर्सरी ट्रीटमेंट पर जो राशि खर्च हुई है, उसका लाभ मनपा को पहले से मिल रहा है। ऐसे में इन खर्चों की भरपाई के बहाने पर्यावरण इम्प्रूवमेंट चार्ज से अर्जित आय से वित्तीय घाटा पूरा करना ही मनपा प्रशासन का मूल मकसद है। राजस्थान पत्रिका ने बीती ४ फरवरी को 'पॉलिसी भी साथ ही तय करनी थीÓ शीर्षक से टिप्पणी प्रकाशित कर टैक्स से अर्जित आय से होने वाले कामों की जानकारी मांगी थी। मनपा प्रशासन की विज्ञप्ति से भी साफ हो गया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए मनपा अधिकारियों के पास कोई ठोस नीति नहीं है और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर होने वाली आय से दूसरे खर्च की भरपाई की मकसद है।
Published on:
28 Feb 2018 11:49 am
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