
मां का स्थान सर्वोपरि
सूरत. डिंडोली में सांईनगर की प्रजापति समाज की वाड़ी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में गुरुवार को व्यासपीठ से निर्मलशरण महाराज ने बताया कि भगवान का अवतार शिशुपाल, दंतवक्र, कंस, रावण आदि को मारने के लिए नहीं हुआ था। वे तो सर्वशक्तिमान है, चाहते तो इन पापियों को बगैर अवतार लिए ही मार सकते थे। वो तो माता का प्यार-दुलार पाने के लिए ही भारतवर्ष में अवतार लेते हैं। महाराज ने बताया कि भगवान जब तक इंसान नहीं बनते तब तक उन्हें मां का आंचल और मां की लोरी नही मिलती। यह पाने के लिए उन्हें अवतार लेना पड़ा। भारत मातृप्रधान देश है और यहां नारियों का सम्मान होता है। यही कारण है कि हम भारतीय इस मातृभूमि को भारत माता कहते हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान को कोई चाची और अमेरिका का कोई भाभी नहीं कहता। सिर्फ भारत देश ऐसा देश है, जहां लोग भारत माता की जय का नारा लगाते हैं, क्योंकि यहां पर माता का स्थान सर्वोपरि है।
मनाई 50वीं सालगिरह
पार्ले पोइंट पर अंबाजी माता मंदिर की 50वीं सालगिरह गुरुवार को धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर मंदिर प्रांगण में कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। 50वीं सालगिरह के मौके पर तड़के तार बजे माता का गंगाजल, दूध, केसर व गन्ने के रस से अभिषेक किया गया। बाद में श्रृंगार पूजन व आरती की गई और सुबह दस बजे एक सौ एक कन्याओं का पूजन किया गया और बाद में भंडारे का आयोजन हुआ। इसके बाद शाम सात बजे अम्बे माता के दरबार में 51 केक सजाकर जन्मदिवस मनाया गया। सालगिरह के मौके पर अम्बाजी माता मंदिर में दर्शनार्थियों की सुबह से ही भीड़ जमा रही।
कार्यशाला में दी सीख
सिटीलाइट के तेरापंथ भवन में साध्वी सरस्वती के सानिध्य में तेरापंथ महिला मंडल की ओर से गुरुवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें साध्वी ने बताया कि एक-दूसरे की टांग खींचने से बचना चाहिए। अहम के बजाय प्रमोद की भावना व्यक्ति में होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति में गुण-अवगुण दोनों होते हैं, लेकिन ग्रहण गुणों को ही करना चाहिए। साध्वी संवेगप्रभा ने बताया कि बेटी को लक्ष्मी कहते हैं और बहु को गृहलक्ष्मी। बेटी जब चली जाती है तो सास-बहु के बीच सामंजस्य सद्भावना होनी चाहिए। कार्यशाला में साध्वी नंदिताश्री व मधु देरासरिया तथा सुनीता सुराणा ने भी संबोधित किया।

बड़ी खबरें
View Allसूरत
गुजरात
ट्रेंडिंग
