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PATRIKA GROUND REPORT : कर्फ़्यू के दौरान आने जाने वाले छह ट्रेनों के 1200 यात्री परेशान, कई पैदल घर पहुंचे

-पत्रिका ग्राउन्ड रिर्पोट - सूरत में रात्रिकालीन कर्फ्यू की आंखों देखी...- सीकर से आया श्रमिक स्टेशन पर फंसा, तो महाराष्ट्र से आई महिला सड़क पर हुई परेशान - 1200 passengers of six trains arriving during curfew, many back home on foot- Worker from Sikar got stuck at the station and a woman from Maharashtra got upset on the road

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PATRIKA GROUND REPORT : कर्फ़्यू के दौरान आने जाने वाले छह ट्रेनों के 1200 यात्री परेशान, कई पैदल घर पहुंचे

PATRIKA GROUND REPORT : कर्फ़्यू के दौरान आने जाने वाले छह ट्रेनों के 1200 यात्री परेशान, कई पैदल घर पहुंचे

दिनेश एम. त्रिवेदी, मुकेश त्रिवेदी

सूरत. पत्रिका टीम ने रात्रि कर्फ़्यू के दूसरे दिन रविवार रात रेलवे स्टेशन समेत शहर के कुछ मुख्य मार्गो पर हालात का जायजा लिया। जिसमें कर्फ़्यू की स्थिती में परेशानियों के कई पहलू उजागर हुए। हिंदी में ऑटो रिक्शा कैब आदि साधनों के अभाव में कहीं कोई महिला परेशान दिखे तो कहीं कोई बुजुर्ग। कई लोग तो कई किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे। दावा किया गया था कि स्टेशन पर आने वाले यात्रियों के लिए बस आदि की व्यवस्था की जा रही है।


देर रात पत्रिका टीम को रेलवे स्टेशन के पास राजस्थान के सीकर जिले के नीम का थाना निवासी छगनलाल कुमावत (40) मिले जो रात में रेलवे स्टेशन पर फंस गए थे। वे मुंबई जाने के लिए सीकर से किसी परिचित के साथ कार में अहमदाबाद तक आए थे। वहां शहर के बाहर से बस में सवार हुए और नौ बजे सूरत पहुंचे।

chaganlal sikar IMAGE CREDIT: patrika

उनका इरादा था कि सूरत से ट्रेन या बस द्वारा मुंबई चले जाएंगे। बस अड्डे पहुंचने पर पता चला कि रात में कोई बस नहीं है। रेलवे स्टेशन में भी बिना कन्फर्म टिकट के प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। मुंबई में निर्माण स्थलों पर काम करने वाले छगनलाल स्टेशन पर ही फंस गए। स्टेशन से हाइवे तक जाने के लिए रिक्शा आदि कोई साधन नहीं होने से वे बस अड्डे पर ही बैठ गए।

ऑटो रिक्शा हटाए, कैब की कमी :


दिल्ली गेट के पास सडक़ किनारे खड़े दो- तीन रिक्शा चालक मिले। उन्होंने बताया कि फिलहाल रात में 75 ऑटो रिक्शा का स्टेशन पर स्टैण्ड है। कर्फ़्यू के पहले दिन शनिवार रात स्टैण्ड चालू था। रविवार रात नौ बजते ही पुलिस ने स्टैण्ड खाली करवा दिया। रात्रि कर्फ़्यू के दौरान सुबह तक आधा दर्जन स्टेशन पर आती है। इनमें करीब 1200 यात्री आते है। ऐसे में न सिर्फ हमारे जैसे रात में रिक्शा चलाने वालों के लिए, बल्कि यात्रियों के लिए भी मुश्किल होगी। क्योंकि कैब की संख्या कम है।

police cheking auto IMAGE CREDIT: patrika

कुछ ही देर बाद गोवा से आ रही ट्रेन पहुंची। दर्जनभर यात्री स्टेशन से बाहर निकले, लेकिन वे घर पहुंचने के लिए परेशान दिखे। कई तो परिजनों के साथ या कैब आदि से चले गए। कई लोग ऑनलाइन कैब व ऑटो रिक्शा नहीं मिलने से परेशान दिखे। कुछ खड़े रहे तो कुछ ने पैदल ही घर की राह पकड़ी, किसी का भी घर स्टेशन से चार किमी से कम दूरी का नहीं रहा होगा।

कई चौराहे वीरान, कम ही दिखे पुलिसकर्मी :


पुलिस ने रात्रि कर्फ़्यू का सख्ती से अमल करवाने की बात की गई थी, लेकिन रविवार रात दस बजे कई मुख्य चौराहों पर एक भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। गोड़ादरा क्षेत्र के सबसे बड़े चौराहे महाराणा प्रताप सर्कल पर जहां आम दिनों में भी रात में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।

maharana pratap circle IMAGE CREDIT: patrika

रविवार रात दस बजे एक भी पुलिसकर्मी नहीं था। कुछ ऐसा ही हाल गोड़ादरा तीन रस्ता, नहर चौराहे और सरदार मार्केट सर्कल का था। कंगारू सर्कल, आईमाता सर्कल, डिंडोली साईं सर्कल, न्यू बोम्बे मार्केट सर्कल, दिल्ली गेट पर भी पुलिसकर्मी कम ही थे। उनके साथ टीआरबी जवान, प्रशिक्षु महिला लोक रक्षक तैनात थीं।

पुलिस ने की महाराष्ट्र से आई महिला की मदद :


रात को घौड़दौड़ रोड़ पर रहने वाली एक महिला सहारा दरवाजा के पास फंस गई। वह वर्कशॉप के लिए महाराष्ट्र के नंदुरबार गई हुई थी। वहां से शाम चार बजे सूरत आने के लिए रवाना हुई। सीधी बस नहीं मिली तो नवापुर और फिर रात नौ बजे कडोदरा पहुंची। वह कड़ोदरा से रिक्शा में सूरत आना चाहती थी। रात्रि कर्फ़्यू के चलते कोई आने को तैयार नहीं था। कुछ रिक्शा चालक उसे घर पहुंचाने के 1200 से 1500 रुपए मांग रहे थे। घंटेभर इंतजार के बाद वह किसी वाहन के जरिए साढ़े दस बजे सहारा दरवाजा पहुंची। यहां प्वाइंट पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के उप निरीक्षक डीबी ठाकोर ने अन्य पुलिसकर्मियों से बातचीत कर उन्हें सुरक्षित घर भेजने की व्यवस्था की गई।