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PATRIKA EXCLUSIVE : राजस्थानी प्रवासियों की एक बार फिर अनदेखी, मिला सिर्फ आश्वासन

  - सीमावर्ती जिलों के लिए अतिरिक्त बसें चलाना तो दूर, खटारा बसों को भी नहीं बदला जा रहा - जीएसआरटीसी की पर्याप्त बसें नहीं होने से दीपावली पर गांव जाने में होगी सकती है दिक्कत

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PATRIKA  EXCLUSIVE : राजस्थानी प्रवासियों की एक बार फिर अनदेखी, मिला सिर्फ आश्वासन

PATRIKA EXCLUSIVE : राजस्थानी प्रवासियों की एक बार फिर अनदेखी, मिला सिर्फ आश्वासन

सूरत. शहर में बसे विभिन्न प्रवासियों की सुविधा के लिए गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) ने दीपावली पर 2200 अतिरिक्त बसें चलाने की घोषणा की हैं, साथ ही 101 स्थाई बसें चलाने की कवायद भी शुरू की है। राज्य के विभिन्न हिस्सों के साथ महाराष्ट्र के कुछ शहरों के लिए अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी।

इससे सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात, मध्य गुजरात व महाराष्ट्र के प्रवासियों को आवागमन में राहत मिलेगी। इस घोषणा में एक बार फिर सूरत समेत आसपास के इलाकों में बसें राजस्थानी प्रवासियों अनदेखी की गई। जीएसआरटीसी द्वारा राजस्थान के लिए न तो स्थाई रूप से नई बस शुरू की गई और न ही किसी अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की गई। जिसके चलते प्रवासी राजस्थानियों में एक बार फिर निराशा का भाव है।

सूरत में बसे राजस्थान के सिरोही, जलोर, पाली, बालोतरा, रानीवाड़ा, उदयपुर, डुंगरपुर व बांसवाड़ा जिलों के प्रवासियों द्वारा प्रति वर्ष जीएसआरटीसी के अधिकारियों व सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के समक्ष यह मांग उठाई जाती रही है। राजस्थान के सीमावर्ती जिलों से कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में लंबे समय से कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं। जिसके चलते प्रवासियों को परेशानी झेलनी पड़ती है।

प्रतिवर्ष होली, दीपावली, स्कूलों की छुट्टियों व शादी-विवाह के सीजन यह परेशानी बढ़ जाती हैं। ट्रेनें काफी समय पहले ही फुल हो जाती हैं। वहीं कई गांव तो ऐसे है जो सीधे ट्रेन से जुड़े नहीं हैं। यात्रियों को बसों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जीएसआरटीसी की पर्याप्त बसें नहीं होने के कारण उन्हें निजी बस चालकों की मनमानी झेलनी पड़ती हैं।

सीजन के दौरान निजी बस चालक किराया कई गुना बढ़ा देते हैं, लंबे सफर में यात्रियों को पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं देते हैं। कई बार मजबूरन उन्हें निजी बसों में बिना सीट के भेड-बकरियों की तरह फर्श पर बैठ कर सफर करना पड़ता हैं। इस बार भी दीपावली की छुट्टियों में गांव आते जाते समय यात्रियों को फिर उसी तरह की परेशानी से दो चार होना पड़ सकता हैं। कुछ दिन पूर्व प्रवासी संगठनों ने सूरत डिपो के परिवहन अधिकारी ओ.जी. सूरती को ज्ञापन देकर अपनी मांग दोहराई लेकिन इस बार भी सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

पुरानी बसें हटाने व स्लीपर बसें चलाने की मांग

प्रवासी राजस्थानी संगठनों द्वारा लंबे समय सीमावर्ती जिलों के लिए दो गुना तीन सीटों वाली पुरानी बसें चलाई जा रही हैं, उन्हें हटा कर स्थाई रूप से नई स्लीपर बसें चलाने की मांग की जा रही है। जीएसआरटीसी द्वारा इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जो पुरानी बसें जीएसआरटीसी द्वारा चलाई जा रही है स्थिति यह है कि मंजिल तक पहुंचते पहुंचते यात्री की हालत खराब हो जाती है।ये बसें समय भी अधिक लेती है और कई बार रास्ते में बिगड़ भी जाती हैं। इसलिए अधिकतर यात्री इन बसों में लंबा सफर करने से बचते हैं। वहीं जीएसआरटीसी प्रवासी संगठनों की मांग यह कह कर नकार देती है कि पहले से चल रही बसों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं।

अनुमति मिलने में होती है मुश्किल : हर्ष संघवी

प्रवासियों की इस समस्या का मुद्दा ‘राजस्थान पत्रिका’ ने गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी के समक्ष भी उठाया। इस पर उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लिए नई बस सेवा शुरू करने में मुश्किल होती है। इसके लिए संबंधित राज्य से अनुमती लेनी पड़ती है, कई बार विभिन्न कारणों से अनुमति नहीं मिल पाती है। जब उन्हें पहले चल रही पुरानी बसों को बदलने के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।