
RTE : आरटीइ प्रवेश को लेकर अभिभावकों की दुविधा बढ़ी
सूरत.
आरटीइ को लेकर अभिभावक दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ स्कूल प्रवेश देने को तैयार नहीं हैं, दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि 30 मई तक प्रवेश नहीं लिया गया तो प्रवेश को रद्द कर दिया जाएगा।
गरीब और मध्यम वर्ग के विद्यार्थी निजी स्कूलों में शिक्षा पा सकें, इसलिए आरटीइ एक्ट लागू किया गया है, लेकिन कई निजी स्कूल इस एक्ट का पालन नहीं कर रहे हैं। आरटीइ प्रवेश के लिए चुने गए विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। इस बारे में कई अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की है। अभिभावकों की इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है और शिक्षा विभाग के नए आदेश ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। प्रथम चरण में आरटीइ प्रवेश के लिए चुने गए विद्यार्थियों को 30 मई तक प्रवेश निश्चित करने का आदेश जारी किया गया है। पहले चुने गए विद्यार्थियों को स्कूलों में प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर 26 मई तक प्रवेश लेने का निर्देश दिया गया था। यह समय सीमा बढ़ाकर 30 मई कर दी गई है। 30 मई तक प्रवेश नहीं लेने पर प्रवेश रद्द करने की चेतावनी दी गई है। इस आदेश ने अभिभावकों को उलझन में डाल दिया है। शहर के कई स्कूलों ने आरटीइ के बच्चों को प्रवेश देने से साफ मना कर दिया है। अभिभावक प्रवेश के लिए स्कूल पहुंच रहे हैं, लेकिन संचालक प्रवेश देने में बहाना बना रहे हैं।
अल्पसंख्यक स्कूलों को देना होगा प्रमाणपत्र
आरटीइ प्रवेश को लेकर नया विवाद सामने आया है। कई स्कूलों ने अल्पसंख्यक स्कूल होने का बहाना बनाकर आरटीइ प्रवेश के लिए चुने गए विद्यार्थियों को प्रवेश देने से मना कर दिया है। सूरत शहर और जिले में ऐसे कई स्कूलों की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से की गई। शिक्षा विभाग ने इस मामले में अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए एक आदेश जारी किया है। इसमें ऐसे स्कूलों से अल्पसंख्यक स्कूल होने का प्रमाणपत्र पेश करने को कहा गया है। आदेश का पालन नहीं करने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी गई है।
कलक्टर को ज्ञापन
नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के सदस्य सुरेश सुहागिया ने गुरुवार को कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। इसमें अल्पसंख्यक स्कूलों को भी आरटीइ के दायरे में लेने की मांग की गई है।
Published on:
25 May 2018 08:15 pm
बड़ी खबरें
View Allसूरत
गुजरात
ट्रेंडिंग
