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कैलाश सत्यार्थी एवं किरण कुमार को संतोक बा मानव रत्न अवॉर्ड

श्रीरामकृष्ण नॉलेज फाउण्डेशन की ओर से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित संतोकबा मानवरत्न अवॉर्ड इस बार नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी...

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Santok Ba Yuva Ratna Award for Kailash Satyarthi and Kiran Kumar

Santok Ba Yuva Ratna Award for Kailash Satyarthi and Kiran Kumar

सूरत।श्रीरामकृष्ण नॉलेज फाउण्डेशन की ओर से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित संतोकबा मानवरत्न अवॉर्ड इस बार नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी एवं पद्मश्री वैज्ञानिक किरण कुमार को दिया जाएगा। शहर के संजीवकुमार ऑडिटोरियम में आगामी मंगलवार को आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन हस्तियों को एक-एक करोड़ रुपए की राशि प्रदान करेंगे। इस मौके पर राज्यपाल ओपी कोहली एवं मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी मौजूद रहेंगे।

समारोह को लेकर शनिवार को एसआरके फाउंडेशन के प्रमुख गोविंद धोलकिया ने बताया कि कैलाश सत्यार्थी को बालकों के सर्वांगीण विकास तथा बालश्रम के उन्मूलन में विशिष्ट योगदान के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वहीं, इसरो के वैज्ञानिक किरण कुमार ने अपनी उपलब्धियों से देश का नाम दुनिया में रोशन किया है। संतोकबा अवॉर्ड की शुरुआत वर्ष २००७ में की गई थी। इसके पीछे एसआरके के ही एक साथी निखिल की सोच थी। इस अवॉर्ड से दलाई लामा, रतन टाटा , डॉ. सुधा मूर्ति, सेम पित्रोदा, डॉ.वर्गिस कुरियन, डॉ. एच.एल. त्रिवेदी, समेत ग्यारह हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है।

देशभर के गांवों में लोगों के स्वास्थ्य की जांच जरूरी

धोलकिया ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने सूरत आगमन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों मेंं लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर चर्चा की थी। उन्होंने विकसित देशों की तरह समय-समय पर ग्रामीणजनों के स्वास्थ्य की जांच की बात कही थी। उस समय एसआरके कलाम प्रोजेक्ट पर विचार किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत पिछले दिनों सौराष्ट्र के अमरेली जिले की तीन तहसील क्षेत्रों में १ लाख १२ हजार लोगों के रक्त के नमूने लेकर १५ अलग-अलग तरह के टेस्ट किए गए।

इनमें ८९ लोग एचआईवी पॉजिटिव निकले तथा बीस हजार लोगों में खून की कमी पाई गई। ७ प्रतिशत लोग पीलिया रोग से ग्रसित पाए गए। पीडि़तों को उपलब्ध दवाएं तथा चिकित्सकों से संपर्क की सलाह दी गईं। स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर सरकार को भी इस तरह के प्रयास करने चाहिए। यदि सरकार नहीं कर सके तो विभिन्न एनजीओ की मदद से तहसील स्तर पर इस तरह के कार्य किए जा सकते हैं।