6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

SURAT SPECIAL NEWS: सर्दी से सुरक्षा व चेहरे पर मुस्कान ही लक्ष्य

- सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग से सेवा कार्य में सक्रिय हैं कर्मभूमि सूरत में व्यापारी - अरावली की पहाडियों में मेवाड़ के दूरदराज गांवों में बच्चों को पहनाते हैं स्वेटर, जैकेट व चप्पल

2 min read
Google source verification
SURAT SPECIAL NEWS: सर्दी से सुरक्षा व चेहरे पर मुस्कान ही लक्ष्य

SURAT SPECIAL NEWS: सर्दी से सुरक्षा व चेहरे पर मुस्कान ही लक्ष्य

सूरत. अरावली की पहाडियों से घिरे मेवाड़ के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी चौपहिया वाहन नहीं पहुंच पाता। ऐसे गांवों के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों को 5 से 10 डिग्री के सर्द तापमान में सर्दी से सुरक्षा देने व उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का सेवा कार्य सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी व्यापारी कर रहे हैं। ये व्यापारी ज्यादातर युवा और मेवाड़ क्षेत्र से हैं। इनके मुताबिक, सेवा के लक्क्ष्य को वे सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग से पूरा करते हैं।

मेवाड़ में महाराणा प्रताप व भामाशाह की धरती गोगुंदा के चारों तरफ पहाडियां हैं और यहां ज्यादातर आदिवासी बसे हैं। प्रतिवर्ष क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी पड़ती है और आजादी के बाद भी इन हजारों परिवारों की स्थिति जस की तस है। इसी मेवाड़ क्षेत्र से कई परिवार सूरत में व्यापार के सिलसिले में वर्षों पहले आकर बस गए थे। आज भी इनका जुड़ाव वहां के लोगों से बना हुआ है। सूरत में इन युवा व्यापारियों ने निष्काम कर्म सेवा फाउंडेशन नामक संगठन को सेवा का सेतु बना रखा है।संस्था के नीलेश संघवी बताते हैं कि राजस्थान में तेज सर्दी पड़ती है और अरावली की गोद में आदिवासियों के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी मोटरसाइकिल के सिवाय दूसरा साधन नहीं पहुंच पाता। वहां लोगों को खासकर बच्चों को ठिठुरन भरी सर्दी से बचाने के उद्देश्य से गर्म जैकेट, स्वेटर गत सात सालों से बांटे जा रहे हैं। इस वर्ष भी एक हजार से ज्यादा स्वेटर, जैकेट बांटे जा चुके हैं।

: सोशल मीडिया पर अपील और कलेक्शन -

प्रत्येक वर्ष सोशल मीडिया पर निष्काम कर्म सेवा फाउंडेशन के समूह में सर्दी में आदिवासी बच्चों के लिए स्वेटर, जैकेट की अपील की जाती है। इसके बाद लोग स्वयं अपनी यथाशक्ति से इसमें सहयोग करते हैं। ज्यादातर कलेक्शन भी डिजिटल डोनेशन के रूप में ही एकत्र होता है। बाद में संगठन स्वेटर, जैकेट के बंडल वहां पहुंचा देता हैं और वहां सक्रिय सदस्य बच्चों के बीच इन्हें बांटते हैं। बच्चों को चप्पल-शूज वगैरह भी बांटे जाते हैं।

: बदलते रहते हैं सेवा-साधना के गांव -

संगठन के सदस्य कपड़ा व्यापारी विजय भादविया ने बताया कि सर्दी के मौसम में संस्था हर बार अलग-अलग ग्राम पंचायतों को चिह्नित करती है। इसमें भी दुर्गम पहाडियों के बीच बसे गांव के आदिवासियों का खास चिह्नीकरण किया जाता है। कई बार संस्था के सदस्य भी सेवा कार्य के लिए वहां पहुंचते हैं तो मेवाड़ में भी संस्था के सदस्य सेवा में सक्रिय हैं।

: गर्मी में जीवदया के प्रति रहते हैं सक्रिय -

संस्था की ओर से सर्दी में जहां आदिवासी बच्चों के बीच गर्म वस्त्र बांटे जाते हैं, वैसे ही गर्मी में जीवदया के कार्य भी किए जाते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से संस्था निरीह पक्षियों के लिए पीने के पानी के पात्र (कुंडे) मंगाकर शहर के विभिन्न क्षेत्र स्थित आवासीय सोसायटियों में बांटती हैं। मकर संक्रांति के आसपास पतंग की तेज धार डोर से घायल पक्षियों के उपचार के चिकित्सा केंद्र भी संचालित किए जाते हैं।