
सूरत.
नोटबंदी और जीएसटी की मार झेल रहे कपड़ा और हीरा उद्यमियों को केन्द्र सरकार के बजट से निराशा मिली थी। वह राज्य सरकार के बजट में कुछ नई नीतियों से राहत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा मिली है।
कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण व्यापार चौपट हो गया है। उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद थी। महाराष्ट्र सरकार ने अपने बजट में पावरलूम्स सेक्टर, टैक्सटाइल ट्रेडिंग, निटिंग तथा वीविंग इंडस्ट्री को बिजली बिल में राहत तथा टैक्सटाइल पार्क के लिए 36 करोड़ रुपए निवेश करने की घोषणा की थी। सूरत के उद्यमियों को उम्मीद थी कि गुजरात सरकार भी यहां के कपड़ा उद्यमियों के लिए कोई योजना बनाएगी, लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई। सूरत के उद्यमी कई साल से बिजली बिल में कमी की मांग कर रहे हैं। वह भी अधूरी रही। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही ही वहां औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली दर प्रति यूनिट साढ़े सात रुपए से घटाकर साढ़े तीन रुपए कर दी है। इससे नए उद्यमी महाराष्ट्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे। सूरत में टैक्सटाइल हब बनाने और गारमेंट इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की बात थी, लेकिन इस ओर भी सरकार का ध्यान नहीं गया। हीरा उद्योग के लिए भी राज्य के बजट में कोई विशेष बात नहीं हैं। सरकार ने सूरत में बन रही ड्रीम सिटी के लिए 30 करोड़ रुपए का अनुदान दिया है। ड्रीम सिटी में 2400 करोड़ रुपए के खर्च से 66 लाख स्कवायर फीट में सूरत डायमंड बूर्स बन रहा है। बजट में घोषित 30 करोड़ रुपए से ड्रीम सिटी में रोड, बिजली तथा अन्य इंफ्रस्टाक्चर बनाया जाएगा।
कुछ नहीं दिया
राज्य सरकार से कपड़ा उद्यमियों को बहुत उम्मीद थी, लेकिन बजट में सरकार ने कपड़ा उद्योग के लिए कुछ नहीं दिया। कपड़ा उद्यमियों को निराशा मिली है।
भरत गांधी, चेयरमैन, फिआस्वी
देनी थी राहत
कपड़ा उद्यमियों को राहत की आवश्यकता थी। महाराष्ट्र सरकार ने नई टैक्सटाइल पॉलिसी बनाई और बिजली बिल कम कर दिया। सूरत के कपड़ा उद्योग को भी ऐसी राहत की आवश्यकता थी।
प्रमोद भगत, कैट
उद्योग की अनदेखी
जीएसटी और नोटबंदी से पीडि़त कपड़ा उद्यमियों को केन्द्र सरकार के बजट में कुछ नहीं मिला। उन्हें राज्य सरकार के बजट से उम्मीद थी, लेकिन उम्मीद पर पानी फिर गया।
मयूर गोलवाला, कपड़ा उद्यमी
Published on:
20 Feb 2018 09:49 pm
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