13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

किले के एक हिस्से का काम मार्च के अंत तक पूरा होगा

पौने 18 करोड़ के खर्च से किया जा रहा है जीर्णोद्धार

2 min read
Google source verification
surat


सूरत. तापी किनारे स्थित किले के एक हिस्से के जीर्णोद्धार का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। मार्च के अंत तक इसके लोकार्पण की तैयारी है।
मनपा ने ऐतिहासिक किले को पौने 18 करोड़ रुपए के खर्च से संरक्षित और संवद्र्धित करने का काम मुंबई की सवाणी कंस्ट्रक्शन को सौंपा था। इसके फेज वन का काम फरवरी 2015 में शुरू हुआ, जिसे दो साल में पूरा किया जाना था, लेकिन किले के अंदर सरकारी कार्यालयों की शिफ्टिंग और अन्य कानूनी अड़चनों की वजह से इसमें एक साल की देर हो चुकी है। मनपा ने ठेकेदार फर्म को पहले फेज के तहत चार हिस्सों का काम सौंपा था, जिसमें तीन बिल्डिंग और बुर्ज का काम शामिल है। बुर्ज का आकर्षण इस पर लगी पुरानी तोप है। किले के प्राचीन इतिहास को सहेजने के लिए अलग-अलग कमरों में जीर्णोद्धार का काम किया गया है। पहली बिल्डिंग में ग्राउंड प्लस दो फ्लोर का निर्माण किया गया है, जिनमें इनफॉरमेेशन एंड ऑरिएण्टेशन रूम, तुगलक एरा, ब्रिटिश कैफिटेरिया आदि बनाए गए हैं। दूसरी बिल्डिंग में भी ग्राउंड प्लस टू की व्यवस्था है, जिसमें मुगल गैलेरी, ट्रेड गैलेरी, डच कोर्ट रूम, डच गैलेरी, रामपर्ट, कैनोन गन डिस्प्ले आदि हैं। तीसरी बिल्डिंग में ब्रिटिश, आरमेनियम, परसियन गैलेरी समेत सूरत का इतिहास, रामपार्ट, कैनोन गन डिस्प्ले आदि लोगों को आकर्षित करेंगे।
सुंदर किनारा, सुरंग और पानी की टंकी
किले की खासियत इसके तापी किनारे होने से अलावा इसकी प्राचीन सुरंग और पानी की टंकी है। सैकड़ों साल पहले सिटी एरिया से सीधे किले तक पहुंचने का अंदरूनी रास्ता प्रोजेक्ट में काम करने के दौरान मिला था। पानी की टंकी भी अंदरूनी भाग की खुदाई में नजर आई। मनपा मार्च के अंत तक इसके लोकार्पण की तैयारी में जुटी है। किले में प्रवेश शुल्क लगेगा, जिसे पहले ही मंजूर करा लिया गया है।
-----
हैरिटेज पर बनेगी नई पॉलिसी
सूरत. सूरत की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए मनपा अपनी हैरिटेज संबंधी नीति का पुनर्मूल्यांकन करेगी। सोमवार को मनपा मुख्यालय में अधिकारियों की मौजूदगी में हुई एक मीटिंग में प्रजेंटेशन के जरिए हैरिटेज को लेकर शहर की मौजूदा पॉलिसी के बारे में जानकारी दी गई। मीटिंग में विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो शहर के पुरातन और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए ट्रस्ट आदि से जुड़े हैं। मीटिंग में मनपा की पॉलिसी के बारे में लोगों को बताया गया। इस पॉलिसी में सुधार केे लिए उनके सुझाव लिए जाएंगे। बताया गया कि पाॉलिसी में कई कमियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इन कमियों की वजह से हैरिटेज स्थलों के संरक्षण में समस्या का सामना करना पड़ता है। सूरत के इतिहास की क्रमबद्ध जानकारी 16वीं सदी से मिलती है, जब तापी नदी के किनारे किले का निर्माण किया गया था। 1612 ई. में अंग्रेजों ने सूरत में कोठी की स्थापना कर यहां केन्द्र विकसित किया। बाद में सर टोमस रो सूरत में बादशाह जहांगीर से मिला और ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से व्यापार करने का हक मांगा। इसके कुछ साल बाद पुर्तगालियों ने सूरत में अपनी कोठी बंद कर दी। पुराने सिटी एरिया में जगह-जगह इतिहास दफन है। इन जगहों से पिछले कुछ साल के दौरान एक दर्जन से अधिक तोपें जमीन में दबी मिली थीं।