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ताप्ती गंगा में भीड़ इतनी कि सैकड़ों यात्री कोच में चढ़ ही नहीं पाए

रेलवे स्टेशन पर गुरुवार को सूरत-छपरा ताप्ती गंगा एक्सप्रेस में धक्का-मुक्की के बीच ट्रेन में चढऩे वाले यात्रियों की संख्या इतनी रही कि कॅन्फर्म टिकट वाले भी पीछे रह जा रहे है। क्राउड मैनेजमेंट व्यवस्था फेल होते दिख रही है। पिछले दो दिनों से रोजाना सैकड़ों यात्री ट्रेन में चढ़ नहीं पाने के कारण गांव नहीं जा पा रहे हैं। वहीं, शिकायतें भी आ रही है कि टिकट कॅन्फर्म करवाने का लालच देकर कई अनाधिकृत एजेंट यात्रियों को जनरल टिकट थमाकर रफूक्कर हो रहे हैं।

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ताप्ती गंगा में भीड़ इतनी कि सैकड़ों यात्री कोच में चढ़ ही नहीं पाए

ताप्ती गंगा में भीड़ इतनी कि सैकड़ों यात्री कोच में चढ़ ही नहीं पाए

सूरत स्टेशन पर रात से ही यात्रियों की भीड़ ताप्ती गंगा एक्सप्रेस में चढऩे के लिए पहुंच जाती है। सूरत समेत दक्षिण गुजरात में रहने वाले उत्तर भारतीय समाज के लोग दीपावली और छठ पूजा में बड़ी संख्या में गांव जाते हैं। नियमित ट्रेनों में चार माह पहले बुकिंग फुल होने के कारण यात्री कॅन्फर्म टिकट के लिए परेशान हो रहे हैं। कॅन्फर्म टिकट वाले यात्री ट्रेन रवाना होने के एक घंटा पहले स्टेशन आते हैं, लेकिन भीड़ इतनी होती है कि वे भी सीट तक पहुंच नहीं पाते। वहीं स्लीपर के यात्री एसी कोच में चढ़ जाते हैं और बिना टिकट वाले रसीद बनाकर अपनी जगह पक्की करने में लगे रहते हैं। रेलवे का दावा है कि क्राउड मैनेजमेंट के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की गई है, लेकिन भीड़ के बीच स्टाफ भी कहीं गुम हो जाता है। जनरल टिकट लेकर सफर करने वाले यात्रियों को कतारबद्ध किया जाता है। आगे और पीछे कुल तीन डिब्बों में ढाई से पौने तीन सौ यात्रियों की जगह होती है। इसमें क्षमता से चार से पांच गुणा अधिक अर्थात 1800 से 2000 यात्री सफर करने को मजबूर हैं। भीड़ के बीच कई यात्री जेब कटने, मोबाइल चोरी की भी शिकायतें कर रहे हैं।

अनाधिकृत एजेंटों की दादागिरी और वसूली बढ़ी

सूरत रेलवे स्टेशन के करंट बुकिंग कार्यालय के पास एटीवीएम मशीन के आसपास अनाधिकृत एजेंटों की संख्या सुबह से शाम तक देखने को मिलती है। इसके अलावा लगेज बुकिंग के नजदीक भी कुछ एजेंट खड़े रहते हैं। वेकेशन के शुरुआत में एक-दो दिन विजिलंस की टीम आई थी, तब ये अनाधिकृत एजेंट तितर-बितर हो गए थे। अब सीजन पीक पर है, तो एजेंटों ने फिर से स्टेशन पर डेरा जमा लिया है। जनरल टिकट लेने आने वाले यात्रियों के बीच से एजेंट अपने ग्राहक तलाशते हैं। टिकट दिलवाने के बहाने एजेंट यात्री से आइडी, कोरोना की जांच आदि तरीकों से झांसे में लेकर टिकट दर से तीन गुना पैसा ले लेते हैं। इन जगहों पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हैं, जिसके चलते एजेंटों की करतूत अधिकारियों को दिखाई नहीं देती।

सूरत से जयनगर और रांची के लिए नई ट्रेन चलाएं

यूपी-बिहार की ट्रेन समस्या का सही चित्रण दिखाने के लिये राजस्थान पत्रिका का आभार। बिहार विकास परिषद भी वर्षों से सभी रेल मंत्री के पास बार-बार समस्या उठाते हैं, लेकिन अभी तक मांग पूर्ण नहीं हो सकी है। उधना से दानापुर ट्रेन को जयनगर तक बढ़ाने की बहुत पुरानी डिमांड है, जो पूरी नहीं हो सकी है। रेल मंत्री से अनुरोध है कि कृपया सूरत से जयनगर तक आरक्षित ट्रेन चलाएं। साथ ही सूरत से रांची वाया गया, एवं सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस को रेगुलर चलाना चाहिए।

सुनील मिश्र, संयोजक, बिहार विकास परिषद्, सूरत।

उधना-दानापुर को प्रतिदिन चलाने की मांग

सूरत में वर्षों से रह रहे प्रवासी बिहारवासियों की केंद्रीय रेलवे और कपड़ा राज्यमंत्री दर्शनाबेन जरदोष से बहुत आशा थी। प्रथम उधना-दानापुर एक्सप्रेस को सप्ताहिक से बढ़ाकर प्रतिदिन चलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए, लेकिन यह मांग पूर्ण नहीं हो पाईं है। परिणाम स्वरूप छुट्टियों के सीजन में बिहार के लोगों को सूरत से अपने ही गांव जाने के लिए बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दर्शनाबेन से अनुरोध है कि दीपावली, छठ पूजा के लिए बिहार जाने के लिए नई ट्रेन तथा नियमित व स्पेशल ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोडऩे की व्यवस्था करवा दें।

धर्मेश सिंह, अध्यक्ष, बिहार विकास परिषद्, सूरत।