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VNSGU : शोध में पिछड़े होने के चलते नेक की ग्रेडिंग में पिछड़ना पड़ा वीएनएसजीयू को

दक्षिण गुजरात के सबसे बड़े विश्वविद्यालय वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) VNSGU नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नेक) NAAC की रैंकिंग में 'ए' ग्रेड से डिग्रेड होकर बी-प्लसप्लस पर आकर सिमट गया है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण शोध Phd में फेल होना है। पांच साल पहले वीएनएसजीयू VNSGU 'ए' मिला था। इसके बाद शोध को वेग देनी की जगह विश्वविद्यालय आंतरिक विवादों में उलझकर रह गया। विवि प्रशासन बी-प्लसप्लस ग्रेड लेकर सभी के लिए हास्यास्पद बन गया।

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VNSGU : शोध में पिछड़े होने के चलते नेक की ग्रेडिंग में पिछड़ना पड़ा वीएनएसजीयू को

VNSGU : शोध में पिछड़े होने के चलते नेक की ग्रेडिंग में पिछड़ना पड़ा वीएनएसजीयू को

- सिर्फ 771 विद्यार्थियों ने ही पीएचडी की उपाधि हासिल की :
नेक National Assessment and Accreditation Council (NAAC) की ग्रेडिंग से पहले वीएनएसजीयू VNSGU ने नेक समक्ष रिपोर्ट जमा करवाई थी। इस रिपोर्ट में शिक्षा सत्र 2016-17 से लेकर 2021-22 तक वीएनएसजीयू VNSGU के सभी विभाग और संबद्ध सभी कॉलेजों में पीएचडी Phd रिसर्च का आकलन भी भेजा गया था। विवि के 21 से अधिक विभागों में से छह सालों में 380 और 300 से अधिक कॉलेजों में से 391 विद्यार्थियों को मिलाकर सिर्फ 771 विद्यार्थियों ने ही पीएचडी Phd की उपाधि हासिल की है।
- छह सालों में हर साल सिर्फ दो आंकड़ों में पीएचडी Phd सिमटी;
विश्वविद्यालय के विभागों से शिक्षा सत्र 2016-17 से लेकर 2021-22 तक क्रमश: 36, 92, 73, 84, 59 और 36 विद्यार्थियों को मिलाकर सिर्फ 380 ही पीएचडी Phd हुई है। विश्वविद्यालय संबद्ध कॉलेज में पीएचडी Phd रिसर्च का हाल तो ओर भी बुरा है। 300 से अधिक कॉलेजों को मिलाकर शिक्षा सत्र 2016-17 से लेकर 2021-22 तक क्रमश: 52,85,64,74,60 और 56 विद्यार्थियों को मिलाकर सिर्फ 380 पीएचडी Phd रिसर्च हुई है।
- विवादों के चलते कम हो रही ही रिसर्च:
विश्वविद्यालय में पिछले छह सालों से पीएचडी Phd के प्रवेश विवादों में रहे हैं। समय पर पीएचडी Phd प्रवेश परीक्षा नहीं होनी, समय पर परिणाम जारी नहीं होना, पीएचडी Phd गाइड की नियुक्ति को लेकर सिंडिकेट में विवाद, प्रवेश हो तो कोर्स वर्क को लेकर इंतजार, प्रवेश के लिए विद्यार्थी योग्य हो भी गए तो प्रवेश देने हो रही देरी के चलते रिसर्च पर गहरा असर हो रहा है। पिछले छह सालों में सिर्फ विभागों से 464 और कॉलेजों में से सिर्फ 760 विद्यार्थियों के ही पीएचडी Phd रिसर्च में प्रवेश हुए हैं।

- साइंस के अलावा सभी संकाय शोध में पीछे:
प्राध्यापकों का कहना है की शोध में पीछे रहने का कारण शोध पर ध्यान नहीं देना ही है। पीएचडी के प्रवेश से लेकर शोध तक की प्रक्रिया सुचारू रूप से हो तो यह समस्या दूर हो सकती है। साइंस के अलावा अन्य जितने भी संकाय है उसमें रिसर्च करने वाले विद्यार्थी कम है। इस वजह से भी शोध में पीछे है।
- शोध की स्कॉलरशिप हासिल करने में भी पीछे:
शोध को वेग देने के लिए राज्य सरकार की ओर से पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को दो साल तक हर माह 15 हजार की स्कॉलरशिप दी जाती है। यह स्कॉलरशिप पाने के लिए विद्यार्थी को अपनी रिसर्च की रिपोर्ट राज्य सरकार समक्ष प्रस्तुत करनी होती है। राज्य सरकार को रिसर्च का विषय योग्य लगा तो ही स्कॉलरशिप दी जाती है। इस साल पूरे राज्य में से 930 विद्यार्थियों को पीएचडी स्कॉलरशिप के लिए चुना गया है। इसमें से वीएनएसजीयू के सिर्फ 105 विद्यार्थियों का ही इस स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ है। इनमें 73 छात्राएं और सिर्फ 32 ही छात्र हैं। पिछले साल तो इस स्कॉलरशिप के लिए वीएनएसजीयू से सिर्फ 20 ही विद्यार्थियों का चयन हुआ था। अब बताओ ऐसे में कैसे वीएनएसजीयू 'ए' के पास भी पोहंच पाए?