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मनरेगा के मजदूरों के अभी करोड़ों रुपए बकाया, काम से हो रहा मोहभंग

जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में आज भी काम होने के बावजूद मजदूरों का रुका है भुगतान, मनरेगा में नहीं काम करना चाहते श्रमिक

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Pranayraj rana

Feb 18, 2016

MgNrega

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अंबिकापुर.
मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना की बैठक प्रभारी मंत्री द्वारा महज आधे घंटे में निपटा दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हजारों की संख्या में मजदूर श्रमिक भुगतान के लिए भटक रहे हैं और अधिकारी उन्हें आबंटन की समस्या बताकर चलता कर रहे हैं।


इसकी वजह से अब इस योजना से लोगों का मोहभंग हो रहा है। मनरेगा के तहत शासन द्वारा गांव में ही लोगों को 150 दिनों का काम उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन अब शासन की इस महत्वपूर्ण योजना से लोगों का मोहभंग होता नजर आ रहा है। शासकीय कागजों में जिले के अंदर मनरेगा के कामों का भुगतान शत-प्रतिशत किए जाने का दावा किया जाता है।


लेकिन आज भी जिले के अधिकांश ग्राम पंचायत ऐसे हैं, जहां मनरेगा के तहत काम कराने के बाद श्रमिकों का भुगतान नहीं हो सका है। आज भी करोड़ों रुपए का भुगतान रूका हुआ है। भुगतान की समस्या को लेकर लोग हर दिन कलेक्टोरेट पहुंच रहे हैं।


जिला पंचायत सदस्यों ने बार-बार उठाए प्रश्र

मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में आईटी सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राजीव गांधी सेवा केंद्र का निर्माण कराया जाना था। लेकिन कुछ ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया जाए तो जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में राजीव गांधी सेवा केंद्र का निर्माण नही हो सका है। जो काम शुरू भी हुए वह आज भी अधूरे हैं। जिला पंचायत सीईओ द्वारा इस योजना को मनरेगा से जोड़ते हुए इसे पूर्ण कराने के निर्देश सभी जनपद पंचायतों को जारी किए गए थे।


लेकिन सीईओ के आदेश की भी अवेहलना अधिकारियों द्वारा की जा रही है। इसे लेकर जिला पंचायत सदस्य मुन्ना टोप्पो ने बतौली में निर्माण कार्यों को लेकर, शांति एक्का ने लुंड्रा के खाराकोना मे हुए अधूरे निर्माण, व जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता द्वारा करजी में किए गए कार्यों को लेकर कई बार जिला पंचायत के सामान्य सभा की बैठक में सवाल किए हैं। लेकिन अधिकारियों द्वारा कभी भी कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया गया।


पौधरोपण के भुगतान अटके

मनरेगा के तहत सबसे अधिक वन विभाग द्वारा कराए गए हैं। वन विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों में पौधरोपण का काम कराया गया है। लेकिन कुछ पंचायतों में इसका भुगतान हो गया है। लेकिन अधिकांश ग्राम पंचायतों में आज भी भुगतान के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है।


दूसरे विभाग नहीं लेते रुचि

जिले में मनरेगा के तहत अधिकांश काम जल संसाधन विभाग या फिर वन विभाग द्वारा कराए जा रहे हैं। लेकिन अन्य विभागों द्वारा इस योजना में विशेष रुचि नहीं दिखाई जा रही है। इसकी वजह से जिले के ग्रामीणों को इस योजना का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है। जैसे ही दूसरे विभागों के काम इस योजना से कराए जाने की बात की जाती है। विभागों के बीच सामांजस्य नहीं होने से मस्टर रोल नहीं होने का हवाला देते हुए काम कराने से मना कर दिया जा रहा है।


दो मदों में कभी नहीं हुए काम

मनरेगा के तहत चार मद में काम कराया जाता है। प्रशासनिक, संविदा आकस्मिक, मनरेगा मातृत्व सहायता व मनरेगा बेरोजगारी भत्ता मद के तहत शासन द्वारा काम दिए जाने की योजना है। लेकिन आज तक मनरेगा के दो मदों में कोई काम नहीं कराया गया है। इससे इस मद का लाभ सरगुजा जिले के लोगों को नहीं मिल पा रहा है।


निलंबन तक कार्रवाई सीमित

मनरेगा के संचालन के लिए निगरानी समिति में रोजगार सहायक, सचिव, पंचायत इंस्पेक्टर, वेलूयर, विभागीय अधिकारी, जिला व जनपद पंचायत के संबंधित अधिकारी को सम्मलित किया गया है। लेकिन मनरेगा के तहत श्रमिकों का भुगतान नहीं होने की शिकायत पर सिर्फ रोजगार सहायक को निलंबीत कर दिया जाता है। लेकिन श्रमिकों के बकाया भुगतान के तरफ कोई ध्यान नहीं देता है।


जल संसाधन विभाग में विसंगतियां

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जल संसाधन विभाग द्वारा घुनघुट्टा परियोजना के तहत वर्ष 2010 में मनरेगा के तहत काम कराया गया है। लेकित आज तक विसंगतियां बनी हुई है। इसकी वजह से भुगतान नहीं हो सका है। जबकि जल संसाधन विभाग द्वारा भुगतान कर दिए जाने से मिटï्टी भराव, हल्की केनाल के रख-रखाव के लिए यह योजना काफी कारगार साबित होगी। पानी किसानी यात्रा के दौरान ग्रामीणों द्वारा जो मांग कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर के आदेश के बाद सभी कामों को मनरेगा से जोड़ा गया था, लेकिन आज तक इसका भुगतान अटका हुआ है।

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