
kheer bhawani mandir kashmir history: खीर भवानी मंदिर जम्मू कश्मीर
Kheer Bhawani Mandir Festival Secret: जम्मू कश्मीर हिंदू धर्म की आध्यात्मिक यात्रा का प्रमुख केंद्र है, यहां जगह-जगह पर हिंदू टेंपल मौजूद हैं। सुरम्य प्राकृतिक छटा के बीच ये धार्मिक स्थल हिंदू चेतना का मार्गदर्शन कर रहे हैं, फिर वो पहलगाम का ममलेश्वर टेंपल हो या गांदेरबल का खीर भवानी टेंपल, आज आपको बताते हैं खीर भवानी टेंपल की अनन्य विशेषताएं ..
श्रीनगर से 25 किलोमीटर की दूरी पर खीर भवानी टेंपल जम्मू कश्मीर के गंदेरबल जिले के तुल्ला मुल्ला गांव में पानी के चश्मे पर स्थित है। यह मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य रंगन्या देवी (महारज्ञा) का मंदिर है।
यहां हर साल वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला खीर भवानी महोत्सव दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां ज्येष्ठ की अष्टमी पर खीर महोत्सव मनाया जाता है। कश्मीर हिंदू नित पूजा करते हैं और अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं।
इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं बहती हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच इस मंदिर के दर्शन करने की तमन्ना हर कश्मीरी पंडित की रहती है। मान्यता है कि आपदा आने से पहले मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है।
इस मंदिर के निर्माण और जीर्णोद्धार में जम्मू और कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह और महाराजा हरि सिंह का योगदान है। वैसे इस क्षेत्र में खीर भवानी के कई और मंदिर में है। इसमें से कुछ टिक्कर, कुपवाड़ा आदि में हैं। यहां के खीर भवानी मंदिर का पुनर्निर्माण भारतीय सेना ने कराया है।
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खीर भवानी मंदिर से जुड़ी 2 कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के अनुसार शिव भक्त रावण मां खीर भवानी का भी बड़ा भक्त था। उसकी सेवा से मां प्रसन्न रहती थीं, जब रावण ने माता सीता का हरण किया तब माता रुष्ट हो गईं और लंका से अपना स्थान त्याग दिया।
एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण से नाराज देवी ने हनुमानजी से मूर्ति को लंका से उठाकर किसी अन्य स्थान पर स्थापित करने को कहा, देवी की आज्ञा से हनुमान जी इसे लंका से कश्मीर लेकर आए और स्थापित कर दिया। तभी से माता का स्थान कश्मीर हो गया और नियमित रूप से माता के भक्त यहां पर उनकी पूजा-आराधना करने लगे।
बाद में जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने साल 1912 में इसका निर्माण कराया, बाद में महाराज हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। 1890 में स्वामी विवेकानंद ने भी यहां पूजा अर्चना की थी।
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माता के इस मंदिर में एक कुंड स्थित है, जिसे चमत्कारी कुंड माना जाता है। मान्यता है कि जब भी कश्मीर में कोई बड़ी आफत आने वाली होती है तब इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। मुसीबत आने पर इस कुंड का पानी काला हो जाता है। जब साल 2014 में कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तब यहां का पानी पहले ही काला हो गया था।
Updated on:
23 Apr 2025 03:04 pm
Published on:
23 Apr 2025 03:02 pm
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