scriptशंकर जी के इस प्रिय मास में जानें देश के प्रमुख रहस्यमयी शिव मंदिर | most mysterious shiv temples of india : indian Amazing temples | Patrika News

शंकर जी के इस प्रिय मास में जानें देश के प्रमुख रहस्यमयी शिव मंदिर

locationभोपालPublished: Jul 10, 2020 12:05:03 am

इनके सामने हार मान गए कई पुरातत्‍वव‍िज्ञानी…

most mysterious shiv temples of india : indian Amazing temples

most mysterious shiv temples of india : indian Amazing temples

सनातन धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में देवों के देव महादेव का नाम कौन नहीं जानता, एक ओर जहां शिवशंकर संहार के देवता हैं, वहीं दूसरी ओर अति जल्द प्रसन्न हो जाने के चलते भोलेनाथ भी कहलाते हैं। इसके अलावा कालों के काल होने के चलते महाकाल भी कहलाते हैं।

वहीं भगवान शंकर की महिमा को समझ पाना क‍िसी के वश की बात नहीं, इस बात का धर्मशास्‍त्रों में तो उल्‍लेख म‍िलता ही है, साथ ही वर्तमान समय में कई ऐसे चमत्कारिक उदाहरण भी देखने को म‍िलते हैं। जिन्‍हें देखकर लोग श्रद्धा से शीश ही झुका लेते हैं।

ऐसे में आज हम भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में स्‍थापित ऐसे ही 6 रहस्‍यमयी शिव मंदिरों के बारे में ज‍िक्र कर रहे हैं, जिनके सामने कई पुरातत्‍वव‍िज्ञानियों ने भी हार मान ली…

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: छत्‍तीसगढ़ के मरोदा गांव में भोलेनाथ का एक अनोखा मंदिर स्थित है। इस मंदिर का नाम भूतेश्‍वर मंदिर है। मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग का आकार हर दिन 6 से 8 इंच बढ़ता है। बता दें क‍ि इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जल लहरी भी दिखाई देती है। जो धीरे-धीरे जमीन के ऊपर आती जा रही है। यहीं स्थान भूतेश्वरनाथ भकुरा महादेव के नाम से जाना जाता है।

ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शंकर-पार्वती ऋषि मुनियों के आश्रमों में भ्रमण करने आए थे, तभी यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। पुराणों में भी इस भूतेश्वर नाथ शिवलिंग का नाम लिया जाता है जहां इसे भकुरा महादेव के नाम से जाना जाता है। शिव के इस अद्भुत शिवलिंग को देखने के लिए यूं तो यहां हरदम ही मेला लगा रहता है लेकिन सावन में यहां लंबी कतारें लगती हैं।

: तमिलनाडु में बसा बृहदीश्‍वर मंदिर भी अद्भुत है। यहां स्‍थापित शिवलिंग का निर्माण एक ही पत्‍थर से किया गया है। बता दें कि इस मंदिर में प्रवेश द्वार पर ही बाबा नंदी स्‍थापित हैं। उनकी मूर्ति भी एक ही पत्‍थर से निर्मित है।

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इस मंदिर का आर्किटेक्‍ट बेहद शानदार है। यहां लाइट बंद होने के बाद भी भक्‍त शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि यहां पर सूर्य की रोशनी सीधे नंदी बाबा पर पड़ती है। उसका रिफ्लेक्‍शन सीधे शिवलिंग पर पड़ता है और इस तरह से शिवलिंग साफ-साफ नजर आता है।

: उड़ीसा का सबसे गर्म क्षेत्र टिटलागढ़ माना जाता है। इसी जगह पर एक कुम्‍हड़ा पहाड़ है, जिसपर स्‍थापित है यह अनोखा शिव मंदिर। पथरीली चट्टानों के चलते यहां पर प्रचंड गर्मी होती है। लेकिन मंदिर में गर्मी के मौसम का कोई असर नहीं होता है। यहां एसी से भी ज्‍यादा ठंड होती है।

हैरानी का विषय यह है कि यहां प्रचंड गर्मी के चलते मंदिर परिसर के बाहर भक्‍तों के लिए 5 मिनट खड़ा होना भी दुश्‍वार होता है। लेकिन मंदिर के अंदर कदम रखते हैं एसी से भी ज्‍यादा ठंडी हवाओं का अहसास होने लगता है। हालांकि यह वातावरण केवल मंदिर परिसर तक ही रहता है। बाहर आते ही प्रचंड गर्मी परेशान करने लगती है। इसके पीछे क्‍या रहस्‍य है आज तक कोई नहीं जान पाया।

: गढ़मुक्‍तेश्‍वर स्थित प्राचीन गंगा मंदिर का भी रहस्‍य आज तक कोई समझ नहीं पाया है। मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग पर प्र‍त्‍येक वर्ष एक अंकुर उभरता है। जिसके फूटने पर भगवान शिव और अन्‍य देवी-देवताओं की आकृतियां निकलती हैं।

इस विषय पर काफी रिसर्च वर्क भी हुआ लेकिन शिवलिंग पर अंकुर का रहस्‍य आज तक कोई समझ नहीं पाया है। यही नहीं मंदिर की सीढ़‍ियों पर अगर कोई पत्‍थर फेंका जाए तो जल के अंदर पत्‍थर मारने जैसी आवाज सुनाई पड़ती है। ऐसा महसूस होता है कि जैसे गंगा मंदिर की सीढ़‍ियों को छूकर गुजरी हों। यह किस वजह से होता है यह भी आज तक कोई नहीं जान पाया है।

: तमिलनाडु में 12वीं सदी में चोल राजाओं ने ‘ऐरावतेश्‍वर मंदिर’ का निर्माण करवाया था। बता दें कि यह बेहद ही अद्भुत मंदिर है। यहां की सीढ़‍ियों पर संगीत गूंजता है। बता दें कि इस मंदिर को बेहद खास वास्‍तुशैली में बनाया गया है। मंदिर की खास बात है तीन सीढ़‍ियां।

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जिनपर जरा सा भी तेज पैर रखने पर संगीत की अलग-अलग ध्‍वन‍ि सुनाई देने लगती है। लेकिन इस संगीत के पीछे क्‍या रहस्‍य है। इसपर से पर्दा नहीं उठ पाया है।

यह मंदिर भोलेनाथ को समर्पित है। मंदिर की स्‍थापना को लेकर स्‍थानीय किवंदतियों के अनुसार यहां देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी ऐरावत ने शिव जी की पूजा की थी। इस वजह से इस मंदिर का नाम ऐरावतेश्‍वर मंदिर हो गया। यह भी उल्‍लेख मिलता है कि मृत्‍यु के राजा यम जो कि एक ऋषि द्वारा शापित थे और शरीर की जलन से पीड़‍ित थे।

इसके बाद वह इसी मंदिर में आए परिसर में बने पवित्र जल में स्‍नान कर भोलेनाथ की पूजा की। इसके बाद वह पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ हो गए। यही वजह है कि मंदिर में यम की भी छवि अंकित है। बता दें कि यह मंदिर महान जीवंत चोल मंदिरों के रूप में जाना जाता है। साथ ही इसे यूनेस्‍को की ओर से वैश्विक धरोहर स्‍थल भी घोषित किया गया है।

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: बांगरमऊ उन्‍नाव नगर के दक्षिण कटरा-बिल्‍हौर मार्ग पर स्थित है बोधेश्‍वर महादेव मंदिर की अद्भुत कथा है। कथा मिलती है कि नेवल के राजा को पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह स्‍थापित करने का बोध स्‍वयं भोलेनाथ ने कराया था। इसी के चलते मंदिर का नाम भी बोधेश्‍वर महादेव मंदिर पड़ा।

कहा जाता है कि जब राज्‍यकर्मी रथ पर शिव, नंदी और नवग्रह को लेकर आ रहे थे तभी वह रथ राजधानी में प्रवेश करते ही भूमि में धंसने लगा। इसके बाद तमाम प्रयास किए गये लेकिन रथ नहीं निकल सका। फिर राजा ने उसी स्‍थान पर सभी प्रतिमाओं की स्‍थापना करवा दी। तभी से ही भक्‍त बोधेश्‍वर मंदिर में असाध्‍य बीमारियों की अर्जियां लगाने पहुंचने लगे।

कहा जाता है कि इस शिवलिंग के सच्‍चे मन से स्‍पर्श मात्र से ही भक्‍तों की बीमारियां दूर हो जाती हैं। यही नहीं भोले के पंचमुखी शिवलिंग मंदिर में अर्धरात्रि में दर्जनों सांप पंचमुखी शिवलिंग को स्‍पर्श करने आते हैं। फिर वापस जंगल में ही लौट जाते हैं। कहा जाता है कि आज तक इन सांपों ने किसी भी स्‍थानीय नागरिक को कोई क्षति नहीं पहुंचाई है। वह केवल शिवलिंग को स्‍पर्श करके वापस लौट जाते हैं।

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