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भगवान शिव के क्रोध से डरकर औरंगजेब ने कराया था इस मंदिर का निर्माण

मुगल बादशाह औरंगजेब के जीवन में भी कुछ ऐसे मौके आए थे जब उसे अपनी धार्मिक कट्टरता को त्यागना पड़ा

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Sunil Sharma

Jun 25, 2016

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मुगल बादशाह औरंगजेब अपनी कट्टर छवि के लिए जाना जाता है परन्तु उसके जीवन में भी कुछ ऐसे मौके आए थे जब उसे अपनी धार्मिक कट्टरता को त्यागना पड़ा। ऐसी ही एक कहानी उत्तरप्रदेश के चित्रकूट स्थित बालाजी के मंदिर से जुड़ी है। यहां पर मुगल सम्राट औरंगजेब ने उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में बालाजी का एक भव्य मंदिर बनवाया था। इसमें भोग की रस्म के लिए स्थाई रूप से धन मिलते रहने का इंतजाम भी किया था जो आज भी सरकारी सहायता के रुप में बदस्तूर जारी है।

औरंगजेब ने आज से 333 वर्ष पूर्व इस मंदिर में राजभोग तथा पूजा के लिए आवश्यक धन के लिए आठ गांवों की 330 बीघा जमीन और राजकोष से चांदी का एक रुपए प्रतिदिन देने का फरमान जारी किया था। बादशाह द्वारा जारी किये गये फरमान की छायाप्रति अभी भी मंदिर में मौजूद है। औरंगजेब के शासन के 35वें साल में रमजान की 19 तारीख को ताम्रपत्र पर जारी किए गए फरमान में लिखा है, "बादशाह का शाही आदेश है इलाहाबाद सूबे के कालिंजर परगना के अंतर्गत चित्रकूट पुरी के संत बालक दास जी को श्री ठाकुर बालाजी के सम्मान में उनकी पूजा और राज भोग के लिए आठ गांव जिनमें हिनौता, चित्रकूट, देवखरी, रौद्र, गोंडा, देवारी, जरवा, मानिकपुर का पुरवा दान में दिया गया है।"

फरमान के मुताबिक "330 बीघा बिना लगानी खेती काबिल जमीन के साथ-साथ कोनी परोष्ठा परगना के लगान से एक रुपये रोजाना दिया जाए। इस फरमान का चित्रकूट के तत्कालीन अधिपति पन्ना नरेश महाराज हिंदूपत ने अक्षरश: पालन किया था।" इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने भी लिखित दस्तावेज के माध्यम से इसे बरकरार रखा। आजादी मिलने के बाद और जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद भी सरकार द्वारा प्रति कर के रूप में कुछ धनराशि महंत को लगातार प्राप्त होती रही है। मंदाकिनी गंगा के तट पर बनवाए गए इस मंदिर में मुगल कालीन स्थापत्य कला की छाप स्पष्ट है।

किंवदंतियों के अनुसार औरंगजेब जब चित्रकूट आया तो उसने अपनी सेना को हुक्म दिया कि सवेरा होते ही यहां के विख्यात मंदिर मत्यगयेन्द्र (शिव का प्राचीन मंदिर) सहित सभी मंदिरों एवं मठों को तोड़ दिया जाए। सवेरे जब उसके सिपाहियों ने शिवलिंग को तोडऩा चाहा तो उनके पेट में भयंकर दर्द होना शुरु हो गया। बाद में एक-एक करके वह बेहोश होकर गिरने लगे। इसे देखकर औरंगजेब घबरा गया। बादशाह ने बीमार सिपाहियों की उपचार के हर संभव प्रयास किए परंतु वह सफल नहीं हो सका।

बाद में वहां उपस्थित किसी एक ने कहा कि इसका इलाज केवल यहां के संत बाबा बालक दास ही कर सकते हैं। बाबा के पास जाकर जब बादशाह ने सिपाहियों के जीवन की भीख मांगी तो कहा जाता है कि बाबा ने उससे मंदिरों को तोडऩा बंद करवाने के लिए कहा। औरंगजेब ने जब इस तरह का वचन दिया तो बाबा के उपचार के बाद सभी सैनिक चमत्कारी ढंग से उठ खड़े हुए। औरंगजेब बाबा के इस अद्भुत चमत्कार से बहुत प्रभावित हुआ और उसने वहां तत्काल एक मंदिर बनवाने का आदेश देकर ठाकुर के राजभोग के लिए दस्तावेज लिखा। यह मन्दिर बालाजी के मंदिर के नाम से विख्यात है। इस सम्बन्ध में चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर डा.कमलेश थापक का कहना है कि औरंगजेब ने मंदिर निर्माण करने के लिए अपने सबसे विश्वसनीय सिपहसलार गैरत खां को चित्रकूट मे रहकर निर्माण कार्य के देख रेख की जिम्मेदारी सौंपी थी।

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