
Shani Dev is with Hanuman ji, Ill sight does not affect
बजरंगबली की पूजा से शनि का प्रकोप शांत होता है, लेकिन हनुमान जी की पूजा से यूं ही खुश नहीं हो जाते शनि महाराज। ... हनुमान जयंती के अलावा मंगलवार-शनिवार हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आदर्श दिन माने गए हैं। यह दोनों दिन उन्हें प्रिय हैं।
दरअसल सनातन धर्म में मान्यता है कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने वालों पर शनिदेव भी अपनी कृपा रखते हैं।
हनुमान और शनि के इस संबंध का प्रतीक गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में भगवान हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है। जिसे कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है।
अपने आप में बेहद खास यह मंदिर इसलिए भी है क्योंकि इस मंदिर में श्री हनुमान के साथ शनिदेव भी विराजित हैं। साथ ही यहां शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान के चरणों में बैठे दिखाई देते हैं।
मान्यता के अनुसार यदि किसी भी भक्त की कुंडली में शनि दोष हो तो कष्टभंजन हनुमान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है। साथ ही यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
ये है मंदिर की पौराणिक कथा
जानकारों के अनुसार कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर के पीछे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी है, इसमें बताया गया है कि कैसे हनुमान जी ने शनि प्रकोप से अपने भक्तों को यहां मुक्ति दिलाई थी।
कहते हैं कि एक समय शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। इस कष्ट से बचने के लिए पृथ्वीवासियों ने हनुमानजी से प्रार्थना की। भक्तों के कष्ट से क्रोधित होकर हनुमान जी, शनिदेव से युद्ध करने चल पड़े। जब शनिदेव को यह पता चला तो वे बहुत डर गए और बचने के लिए उपाय सोचने लगे।
शनिदेव जानते थे कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते, इसलिए उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया और हनुमान जी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे और उनके भक्तों पर से अपना प्रकोप भी हटा लिया। तभी से सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर में शनिदेव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में ही पूजा जाता है और भक्तों के कष्टों का निवारण करने के लिए इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।
भव्य व चमत्कारी मंदिर
कष्टभंजन हनुमान मंदिर विशाल और भव्य किले की तरह बना हुआ अतिसुंदर और चमत्कारी मंदिर है।
इसके संबंध में ये भी माना जाता है कि केसरीनंदन के मंदिरों में से कष्टभंजन हनुमान मंदिर सबसे वैभवपूर्ण मंदिर है।
गुजरात में अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर कष्टभंजन हनुमान का यह स्थान है। किसी राजा के स्थान की तरह सजे इस मंदिर के विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर हनुमान जी विराजमान हैं।
उनके शीश पर हीरे जवाहरात का मुकुट है और पैरों के पास एक सोने की गदा भी रखी है। उनके चारों ओर वानरों की सेना दिखती है और उनके पैरों के निकट स्त्रीरूपी शनिदेव मौजूद हैं। मान्यता है कि पवनपुत्र का स्वर्ण आभूषणों से लदा हुआ ऐसा भव्य और दुर्लभ रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में हनुमान जी का दर्शन करने आता है और भक्ति करता है, उसके ऊपर से शनि देव का प्रकोप दूर हो जाता है। साथ ही ये भी मान्यता है कि यहां आने वाले हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव कभी परेशान नहीं करते हैं।
Published on:
09 May 2020 04:07 am
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