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पांच साल पहले भेजा गया था अनुभूति क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव, नहीं मिला बजट

टीकमगढ़. कुण्डेश्वर के जंगलों में अब अभयारण्य विकसित करने के लिए वन विभाग काम कर रहा है। इसके लिए पूरा प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा चुका है। विभाग को अब वहां से अनुमति मिलने का इंतजार है। विदित हो कि पांच साल पूर्व यहां पर अनुभूति क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव भी भेजा गया था, लेकिन उसे भी स्वीकार नहीं किया गया था।

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टीकमगढ़. कुण्डेश्वर के जंगल में चीतल।(फाइल फोटो)

टीकमगढ़. कुण्डेश्वर के जंगल में चीतल।(फाइल फोटो)

कुण्डेश्वर के जंगलों में अब अभयारण्य विकसित करने की बनाई योजना

टीकमगढ़. कुण्डेश्वर के जंगलों में अब अभयारण्य विकसित करने के लिए वन विभाग काम कर रहा है। इसके लिए पूरा प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा चुका है। विभाग को अब वहां से अनुमति मिलने का इंतजार है। विदित हो कि पांच साल पूर्व यहां पर अनुभूति क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव भी भेजा गया था, लेकिन उसे भी स्वीकार नहीं किया गया था।

स्वयं भू भगवान शंकर की नगरी से निकली जमडार नदी के तट से लगे खैराई के जंगलों की अपनी सुंदरता है। इन जंगलों में कुलांचे भरते चीतल लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां पर की जा रही सुरक्षा के लिए लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। लगातार बढ़ रही संख्या के बाद यह चीतल अब वन्य क्षेत्र छोड़कर सीमा से लगे यूपी के क्षेत्र तक जा रहे हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा को लेकर भी खतरा बना हुआ है। इन वन्य जीवों को सुरक्षित करने एवं आमजन को खुले जंगलों में इनकी अनुभूति कराने के लिए वन विभाग ने पांच साल पहले यहां पर अनुभूति क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब विभाग ने यहां पर अभयारण्य विकसित करने की योजना बनाई है। रेंजर सौरभ जैन का कहना था कुण्डेश्वर में अभ्यारण और सिद्धखान में नगर उद्यान विकसित करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है। वहां से अनुमति आने पर योजना में आगे काम किया जाएगा। विदित हो कि वर्ष 2020 में ओरछा में आयोजित होने वाले ओरछा महोत्सव को देखते हुए कुण्डेश्वर के जंगलों से 29 चीतलों को ओरछा के अभयारण्य में भेजा गया था।

बढ़ेगा पर्यटन

विदित हो कि कुण्डेश्वर के जंगलों के दोनों ओर से लगी नदी के कारण यह वन्य जीवों के लिए अनुकूल क्षेत्र है। यहां पर चीतलों की संख्या 200 से अधिक बताई जा रही है। विभागीय सूत्रों की माने तो अब तक इन चीतलों की सुरक्षा के लिए वन्य क्षेत्र के चारों ओर किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं है। साथ ही इस वन्य क्षेत्र का बड़ा हिस्सा यूपी से लगा हुआ है। ऐसे मेें हमेशा इनके शिकार का डर बना रहता है। यदि यहां पर अभयारण्य विकसित होता है, तो इस पूरे क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। साथ ही यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। विदित हो कि शिवधाम कुण्डेश्वर में हर साल लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यदि यहां पर अभयारण्य तैयार कर आमजन के लिए खोला जाता है तो लोगों को दोनों चीजों का लाभ मिलेगा और पर्यटन भी बढ़ेगा।

इनका कहना है

&इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था। अब तक वहां से किसी प्रकार का पत्राचार नहीं किया गया है। इस संबंध में विभागीय स्तर पर जानकारी कर प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

- सौरभ जैन, रेंजर, वन परिक्षेत्र, टीकमगढ़।