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अपूर्ण पड़ी गोशालाएं, पूर्ण कराने का नहीं किया जा रहा प्रयास

पिछले कार्य काल में स्वीकृत और निर्माण की गई गोशालाएं अधूरी पड़ी है। कई गोशालाएं ऐसी भी है, जिनका भुगतान तो किया गया है, लेकिन उसके कई कार्य पूर्ण नहीं हो पाए है। इस कारण से वर्तमान सरपंचों ने उन्हें अपने सुपुर्द नहीं लिया है।

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 Cowsheds operated empty of cows, straw and fodder finished

Cowsheds operated empty of cows, straw and fodder finished


टीकमगढ़. पिछले कार्य काल में स्वीकृत और निर्माण की गई गोशालाएं अधूरी पड़ी है। कई गोशालाएं ऐसी भी है, जिनका भुगतान तो किया गया है, लेकिन उसके कई कार्य पूर्ण नहीं हो पाए है। इस कारण से वर्तमान सरपंचों ने उन्हें अपने सुपुर्द नहीं लिया है। जिनकी शिकायत पर जांच शुरू हुई। जिसकी कार्रवाई शून्य पड़ी है। जो गोशालाएं पूर्ण और संचालित है, वहां भूसा, चारा खत्म हो गया है।
जिले में १०३ गोशालाओं को स्वीकृत किया गया था। उनमें से ५० गोशालाएं का कार्य पूर्ण हो गया है और उनको स्वसहायता समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा है, लेकिन वहां का भूसा और चारा खत्म हो गया है। जिसकी मांग जिला प्रशासन से की गई है। ३९ गोशालाएं अधूरी पड़ी है। जिनका भुगतान तो किया गया है, लेकिन निर्माण कार्य बंद पड़ा है। कई ग्राम पंचायतों द्वारा तो उन्हें चार्ज में नहीं लिया है। १४ गोशालाएं विवादों में फंसी है।


काम अधूरा, भुगतान के लिए लगा लिए बिल
टीकमगढ़ जनपद पंचायत के उपयंत्री संतोष साहू ने बताया कि ग्राम पंचायत बौरी के हनुमान सागर गांव में गोशाला ३७ लाख ८४ हजार ८६४ रुपए में स्वीकृत हुई थी। जिसका निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। जबकि पूर्व सरपंच द्वारा बाकी राशि के बिल लगा लिए गए है, लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। जिसके कारण वर्तमान सरपंच द्वारा चार्ज में नहीं लिया है। सरपंच प्रतिनिधि उमेश अहिरवार ने बताया कि उपयंत्री, सचिव के साथ सरपंच ने अधूरी पड़ी गोशाला की शिकायत जनपद पंचायत में लिखित की थी। जिसकी जांच टीम द्वारा की जानी थी, उसके बाद भी जांच नहीं की गई है। जिसके कारण निर्माण कार्य आज भी अधूरा पड़ा है। जिसकी जांच की जाए तो कई अनियमितताएं निकलकर सामने आएगी।

संचालित गोशालाओं में नहीं गाय
जिले में ५० गोशालाएं पूर्ण हो गई है। उनको संचालित करने के लिए स्वसहायता समूहों को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन गोशालाएं खाली पड़ी है। मांछी, शाह, टानगा, सिमरा खुर्द, मातौल के स्वसहायता समूह संचालकों का कहना था कि गायों को खिलाने के लिए भूसा और चारा खत्म हो गया है। उधारी में भूसा और चारा खरीदकर उन्हें खिला रहे है। उसके बजट के लिए जिला प्रशासन को पत्र के माध्यम से जानकारी दे चुके है।

विवाद में पड़ी १४ गोशालाएं
जिले के बडमाडई, मैंदवारा, गोर, लहरबुजुर्ग, सरकनपुर खास, टीला के साथ अन्य ग्राम पंचायतों की गोशालाएं स्वीकृत पड़ी है, लेकिन विवाद के चलते उनका कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण वहां की गायें और आवारा मवेशी खुली घूम रही है।
इनका कहना
जिला स्तर की टीम बनाकर पूर्ण और अपूर्ण गोशालाओं का निरीक्षण किया जाएगा। जिनका कार्य अधूरा पड़ा है और भुगतान की कार्रवाई की जा रही। उनकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
सिद्धार्थ जैन, सीइओ जिला पंचायत टीकमगढ़।