
Due to the absence of rains
टीकमगढ़. पिछले सात दिनों से जिले में बारिश न होने से किसान चिंतित हो रहे हैं। बारिश थमने के कारण कुछ स्थानों पर किसानों की फसलें खराब होने लगी हैं। यदि यही हाल रहा तो जिले के अधिकांश किसान अपनी फसल से हाथ धो बैठेंगे। जिले में बोवनी कर चुके लगभग 65 फीसदी किसानों को अब बेसब्री से बारिश का इंतजार बना हुआ हैं।
इस बार देर से आए मानसून ने शुरूवात में जमकर राहत पहुंचाई। 7 जुलाई से शुरू हुई बारिश का सिलसिला 11 जुलाई तक लगातार जारी रहा। वहीं इसके पूर्व टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले में कुछ स्थानों पर हुई प्री-मानसून बारिश ने भी किसानों को खेती के अनुकूल पानी दे दिया था। शुरूवात में हुई जोरदार बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों का रूख कर लिया था। 11 जुलाई से खुले मौसम के बाद जिले में लगभग 65 फीसदी से अधिक किसान खरीफ फसल की बोवनी कर चुके हैं। बोवनी पूरी होने के बाद अब किसानों को बारिश का इंतजार हैं, और बारिश हैं कि थम कर रह गई हैं।
बादल दे रहे छलावा: आसमान में लगभग रोज ही बादल छा रहे हैं। लेकिन यह बादल किसानों को रोज छलते दिखाई दे रहे हैं। बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को आसमान से राहत मिलती नही दिखाई दे रही हैं। बारिश न होने के कारण उन क्षेत्रों में फसलों को ज्यादा नुकसान हो रहा हैं, जहां पर शुरूवाती दौर में ही कम बारिश हुई हैं। कम बारिश वाले क्षेत्रों में पलेरा, बल्देवगढ़, जतारा एवं पृथ्वीपुर के किसान खासे परेशान बने हुए हैं।
खराब हो जाएगी फसल: बारिश न होने के कारण परेशान किसानों का कहना हैं कि यदि ऐसा ही मौसम रहा तो उनकी फसल खराब हो जाएगी। बारिश के बाद हुई बोवनी के बाद कुछ जगहों पर तो बीजों में अंकुरण होने लगा हैं। वहीं कुछ स्थानों पर यह क्रिया होना शेष हैं। ऐसे में हर जगह बारिश की आवश्यकता महसूस हो रही हैं। यदि आगामी चार-पांच दिन बारिश नही होती हैं, फसलों को नुकसान होने का पूरा अनुमान बना हुआ हैं।
बड़ रहा जमीन का तापमान: वहीं मौसम वैज्ञानिक भी यह मान रहे हैं कि यदि आगामी चार-पांच दिन बारिश न हुई तो फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कृषि महाविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ एके श्रीवास्तव का कहना हैं कि मौसम साफ होने से खिलकर निकल रही धूप के कारण जमींन का तापमान भी बडऩे लगा हैं। ऐसे में खेतों में पड़ा बीच खराब हो जाएगा। डॉ श्रीवास्तव ने अब 22 जुलाई के आसपास ही बारिश की संभावना जताई हैं। इस बीच कहीं पर दबाव बनने के कारण अल्प वर्षा की संभावना भी बताई जा रही हैं।
पिछले वर्ष लगातार मिला पानी: इस वर्ष 11 जुलाई के बाद से बारिश बिलकुल भी थम गई हैं। जबकि पिछले वर्ष इस समय लगातार बारिश दर्ज की गई हैं। पिछले वर्ष जुलाई के माह में हर दिन बारिश हुई हैं। यह बारिश भले ही कम मात्रा में हुई थी। लेकिन बारिश होने के कारण इसका सीधा फायदा फसलों को हुआ था और खरीफ की अच्छी पैदावार हुई थी।
कहते हैं अधिकारी: बारिश न होने से जहां पहले बोवनी हो चुकी हैं, वहां सोयाबीन को ज्यादा नुकसान होगा। उड़द, मूंग एवं अरहर की उपज में भी कमी आएंगी। 22 जुलाई के बाद ही मानसून एक बार फिर से सक्रिय होगा।- डॉ एके श्रीवास्तव, मौसम वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, टीकमगढ़।
Published on:
18 Jul 2019 05:00 am
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