जिले में ५० से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों के शोरूम खुल गए है। ५ हजार से अधिक ई- रिक्सा और ३० हजार से अधिक स्कूटर, बाइकें शोरूमों से बाहर आ गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ती दिलचस्पी के बावजूद चार्जिंग स्टेशन, पाट्र्स और प्रशिक्षित मैकेनिक की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जिले में अब तक एक भी चार्जिंग स्टेशन नहीं है। लबी दूरी तय करने चाले वाहन चालकों को समस्या का सामना करना
पड़ सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों के पाट्र्स की उपलब्धता भी शोरूम तक ही सीमित है। पाट्र्स के खराब होने पर वाहन मालिकों को असुविधा का सामना करना पड़ता है, क्योंकि प्रशिक्षित मैकेनिक उपलब्ध नहीं है।
कई कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फ ाइनेंस सुविधा भी उपलब्ध कर रही है। इससे इनकी खरीदी भी आसान हो गई है। कुछ कंपनियां बिना ब्याज और कम ब्याज दरों पर भी फ ाइनेंस दे रही है। जिससे ग्राहक कम पेमेंट पर भी वाहन ले सकते है। उसमें सुरक्षा के लिए स्ट्रील सामग्री भी लगा रही है।
यह इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक बिना शोर के है। इसमें गियर सिस्टम नहीं होने से उसे चलाना आसान हो गया है। वहीं अच्छी डिजाइन हल्का और आकर्षक है। जिसे संभालना आसान है। लेकिन लंबी दूरी के लिए सही नहीं है। रास्ते में बंद होने का डर सताता रहता है।
पेट्रोल बचत के लिए इलेक्ट्रिक का स्कूटर तो ले लिया है, लेकिन यहां पर सविर्सिंग सेंटर नहीं है। इसके पार्टस भी बढ़ी मुश्कल से मिलते है। शोरूम मालिक जबलपुर से ऑडर करता है, तब जाकर लंबे समय बाद पार्टस उपलब्ध हो पाते है। जब तक चलती है, तब तक ठीक है।
अध्यक्ष दुबे, ग्राहक इलेक्ट्रिक स्कूटर।
मदन कुमार झां, ग्राहक।
मातादीन राजपूत, ग्राहक। फैक्ट फाइल
५० से अधिक जिले में इलेक्ट्रिक शोरूम
५ हजार से अधिक ई-रिक्शा
३० हजार से अधिक इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक
१५०० रुपए एक महीने में पेट्रोल खर्चें की बचत
२० फीसदी बड़ा जिले में इलेक्ट्रिक वाहनों का कब्जा
२९९९९ से १.५० लाख रुपए तक स्कूटर की कीमत
५० से लेकर १०० किमी की रफ्तार