29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अजब-गजब : VIDEO दिल्ली से अमरनाथ तक बाइक से किया सफर, 10 दिन में 3000 किमी चले इन दुर्गम दर्रों से,

आस्था और विश्वास का ऐसा ही दुस्साहसी उदाहरण पेश किया है, जिले के आवकारी महकमें में पदस्थ उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डे ने

2 min read
Google source verification
Faith belief amarnath Yatra Bike ride

Faith belief amarnath Yatra Bike ride

टीकमगढ़. कहते है धर्म, आस्था और विश्वास का नाम है। जब यह आस्था और विश्वास मन में पैदा होता है तो दुनिया की सारी चुनौतियां भी हार जाती है। आस्था और विश्वास का ऐसा ही दुस्साहसी उदाहरण पेश किया है, जिले के आवकारी महकमें में पदस्थ उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डे ने। इन्होंने अमरनाथ बाबा के दर्शन करने दिल्ली से अमरनाथ तक सफर बाईक से ही तय कर लिया। अमरनाथ के दर्शन करने के लिए इन्होंने 10 दिन में 3 हजार किमी बाईक का सफर कर दुनियां के दुर्गम दर्रों में शुमार 10 दर्रों को भी पार किया है।
ओरछा में पदस्थ आवकारी उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डे ने इस वर्ष बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के लिए अपना रिजर्वेशन कराया था। उन्हें 13 जुलाई को दिल्ली से दर्शन के लिए जम्मू जाना था। लेकिन प्रतिकूल मौसम और श्रीनगर में चल रहे तनाव के कारण सरकार ने अभी यात्रा पर रोक लगा रखी है। अमरनाथ के लिए दिल्ली पहुंचे मुकेश पाण्डे को जब यह जानकारी हुई तो उन्होंने अपने साथ जाने वाले दिल्ली के चार मित्रों से बात की। पहले तो सभी ने बाद में यात्रा करने का मन बनाया, लेकिन मुकेश का कहना था कि न जाने क्यों इस बार उन्हें भगवान के दर्शन करने की तीव्र कामना मन में हो रही थी। इस कामना को देखते हुए उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर यह दुस्साहसी काम कर लिया।
ऐसे बना विचार: मुकेश ने बताया कि जब उन्होंने जानकारी की तो पता चला कि जो यात्रा जम्मू पहुंच रहे है, उनकी यात्रा रोकी जा रही है, जबकि जो सीधे बालटाल पहुंच रहे थे, उन्हें दर्शन करने आगे जाने दिया जा रहा था। यह जानकारी होने पर अपने मित्र सचिन जोगड़ा, अनिल दीक्षित, नितिन शर्मा एवं डॉ कुलभूषण त्यागी के बात कर एक बार इस प्रकार की यात्रा पर विचार किया। उनका कहना था कि यह बाबा बर्फानी की ही कृपा थी कि सभी का मन बन गया और यह यात्रा भी पूरी हो गई।


ऐसे पहुंचे दर्शन करने: मुकेश ने बताया कि वह बाईक से दिल्ली से पठानकोट होकर चंबा पहुंचे । फिर हिमांचल प्रदेश का सबसे ऊंचा दर्रा साच पास (14500 फ़ीट) को पहले दिन ही पार कर लिया। यहां से वह एशिया की तीसरी सबसे खतरनाक सड़क किलाड़-किश्तवाड़ से किश्तवाड़ पहुंचे । अगले दिन जम्मू को कश्मीर से जोडऩे वाले दर्रे सिंथन टॉप (12500 फ़ीट) को पार कर बालटाल पहुंचे और 8 जुलाई को बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा में स्थित शिवलिंग के दर्शन किए।

उन्होंने बताया कि दर्शन होते ही जैसे सारी थकान ही दूर हो गई। उन्होंने बताया कि दर्शन के बाद 9 जुलाई को कश्मीर को लद्दाख से जोडऩे वाले दर्रे जोजिला (11575 फ़ीट) और फातुला (13478 फ़ीट) को पार कर वह लोग लेह पहुंचे । लेह में परमिट बनवाने के बाद 11 जुलाई को दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे खारदुंगला (18380 फ़ीट) को पार किया। यहां से वापिसी के लिए उन्होंने लेह-मनाली हाईवे पर पडऩे वाले टगलांगला (17582 फ़ीट), लाचुंगला (16616 फ़ीट) , नकीला (15547 फ़ीट) , बरलाचला ( 16005 फ़ीट) एवं रोहतांग दर्रा ( 13051 फ़ीट) पार किया और मनाली पहुंचे। यहां से 13 जुलाई को बाईक से दिल्ली आए। मुकेश पाण्डे का कहना है कि उन्होंने जीवन में पहली बार इतनी बड़ी यात्रा बाईक से की है। उन्होंने कभी सोचा भी नही था कि वह कभी बाईक से यह यात्रा करेंगे। अपनी इस यात्रा को वह बाबा बर्फानी की ही कृपा बताते है।