
ओरछा। नदी में तैरते हुए दुर्गादास।
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से ऊंची उड़ान होती है। इन पंक्तियों को चरितार्थ करते दिखाई देते है लाडपुरा निवासी दुर्गादास यादव। बचपन से एक पैर से दिव्यांग दुर्गादास जब तैरने के लिए नदी में छलांग लगाते है तो लोग उन्हें देखते ही रह जाते है। उनकी तैराकी की खासियत यह है कि वह घंटे बिना हाथ-पैर चलाए पानी में तैरते रहते है।
लाडपुरा निवासी दुर्गादास यादव बताते है कि उन्हें बचपन से ही तैराकी का शौक था। उनका कहना था कि एक पैर न होने के कारण उन्हें शुरूआती दौर में परेशानी आई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार प्रयास करते रहे और तैरना सीख गए। इसक बाद वह लगातार प्रयास करते रहे। एक पैर कमजोर होने से उन्हें तैरने में परेशानी आने पर उन्होंने पानी के अंदर संतुलन बनाने के लिए अपनी शारीरिक क्षमता को मजबूत किया। अब हाल यह है कि बिना हाथ-पैर चलाए ही घंटों पानी में तैरते रहते है। वह बताते है कि यह सब कुछ उन्होंने खुद ही सीखा है।
उनकी इस तैराकी का हर कोई दीवाना है। अब वह गांव के बच्चों को भी इसमें पारंगत करने में लगे है। जिन बच्चों को तैरने का शौक है, वह उन्हें बताते है कि कैसे इसमें मास्टर बन सकते है। गांव के लोग उनकी तैराकी के इस हुनर को खूब मानते है। हेमंत गोस्वामी का कहना है कि दुर्गादास एक बेहतर तैराक है। लोग उनकी इस कलाकारी को घंटों नदी पर देखते रहते है।
दुर्गादास कहते है कि वह इस क्षेत्र में और आगे जाना चाहते है। यदि शासन-प्रशासन उनकी मदद करें तो वह तैराकी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने की इच्छा रखते है। इसके लिए उन्हें थोड़े से सहयोग की अपेक्षा है। इसमें वह और अच्छा मुकाम हासिल करें। साथ ही वह चाहते है कि यदि प्रशासन जिले में किसी केंद्र की व्यवस्था करें तो वह बच्चों को भी तैयार कर सकते है।
Updated on:
03 Mar 2025 04:20 pm
Published on:
03 Mar 2025 12:19 pm
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