वर्तमान में जिले के सभी नगरीय निकाय प्रभारियों के भरोसे चल रहे है। आलम यह है कि पलेरा को छोड़ दिया जाए तो किसी भी नगरीय निकाय में फुल फ्रेश सीएमओ की पदस्थापना नहीं की गई है।
वहीं प्रभार भी ऐसे दिए गए है, कि लोग समझ नहीं पा रहे है कि आखिर यहां चल क्या रहा है। संयुक्त संचालक सागर राजेश श्रीवास्तव ने जिले की दो नगर परिषदों का प्रभार तो दूसरे जिलों में पदस्थ प्रभारी सीएमओ को दे दिया है। इसमें कारी नगर परिषद का प्रभार यहां से 122 किमी दूर छतरपुर जिले की महाराजपुर नगर परिषद सीएमओ को दिया गया है तो खरगापुर का प्रभार 156 किमी दूर दमोह जिले की हटा नगर परिषद के सीएमओ को दिया गया है। इसके साथ ही कही राजस्व उप निरीक्षक को प्रभार सौंपा गया तो कहीं ऐसे को प्रभारी बनाया गया है, जिस पर पहले से ही आरोप होने पर जिले से हटाया गया था।
यह दिए निर्देश इस समस्या को पत्रिका ने 5 जनवरी के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके साथ ही नगरीय निकाय के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला लाया गया था। इस पर नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव ने 8 जनवरी को सीएमओ का प्रभार देने के संबंध में सभी संयुक्त संचालकों को आदेश किए है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि जब तक स्थाई सीएमओ की व्यवस्था नहीं होती है तब तक यदि कहीं प्रभार दिया जाता है तो संबंधित नगरीय निकाय के पास के निकाय के सीएमओ या फिर फीडर कैडर अधिकारी को ही प्रभार दिया जाए। उनके आदेश में स्पष्ट है कि इस प्रकार से प्रभार देने के बाद ऊपर जानकारी भी नहीं दी जा रही है। इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई है। आयुक्त के निर्देश के बाद अब नगरीय निकायों का ध्यान संयुक्त संचालक की कार्रवाई पर टिका हुआ है।