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अमृत 2.0 के लिए शुरू की जलश्रोत की तलाश

आमघाट और बानसुजारा बांध का किया निरीक्षण, 2055 के हिसाब से बननी है योजना, चाहिए 11.83 एमसीएम पानी

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Search for water source started for Amrit 2.0

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टीकमगढ़. शासन द्वारा स्वीकृत की गई अमृत 2.0 योजना के लिए नगर पालिका ने उपयुक्त जलश्रोत की तलाश शुरू कर दी है। विदित हो कि यह योजना 2055 में शहरी क्षेत्र की आवादी को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। इस हिसाब से योजना के लिए 11.83 एमसीएम पानी की जरूरत है। योजना सुचारू रुप से संचालित हो सके इसके लिए नपा अब उपयुक्त जलश्रोत की तलाश कर रही है।


शासन द्वारा 33 करोड़ रुपए की अमृत 2.0 योजना स्वीकृत की गई थी। नपा के अधिकारियों द्वारा इस योजना को बरीघाट पर स्वीकृत किया गया था। योजना का डीपीआर बनने के बाद से परिषद में पास किया जाना था, लेकिन 12 सितंबर को आयोजित परिषद की पहली बैठक में यह योजना इसलिए स्वीकृत नहीं की गई थी कि बरीघाट में योजना के हिसाब से जरूरी 11.83 एमसीएम पानी नहीें है। इसके बाद परिषद ने इसे बान सुजारा बांध से लिंक कराने की बात कही थी, लेकिन बान सुजारा बांध भी इतना पानी देने में सक्षम नहीं है। ऐसे में अब नपा ने योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए उचित जलश्रोत की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए नपाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि संजय नायक, उपयंत्री अनीस खरे, रजनीश तिवारी, जल प्रदान प्रभारी अनिल श्रीवास्तव सोनी एवं भोपाल से आए कंस्टलटेंट आशीष खरया ने योजना के लिए उपयुक्त जलश्रोत की तलाश की। इस टीम ने गुरुवार को आमघाट एवं बानसुजारा बांध पर जरूरी पेयजल का पता किया। ऐसे में आमघाट पर भी योजना के लिए समुचित पानी नहीं मिलो तो बान सुजारा बांध पर बांध के आगे नीचे की ओर स्टापडेम बनाकर पानी का भंडारन करने पर विचार किया गया।

जल्द होगी व्यवस्था
नपाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार का कहना था कि योजना का सही तरीके से संचालन हो सके इसके लिए उपयुक्त जलश्रोत की तलाश जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। उनका कहना था कि पूर्व में योजना के लिए बरीघाट का चयन करते समय 2055 के लक्ष्य को ध्यान में नहीं रखा गया था। ऐसे में यदि बरीघाट से योजना का संचालन किया जाएगा तो भविष्य में पानी की समस्या यथावत बनी रहेगी। उनका कहना है कि शासन से मिली 33 करोड़ की राशि का सही उपयोग हो और भविष्य में पेयजल की किसी प्रकार से परेशानी न हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे है।


जारी किए जाएंगे नोटिस
उन्होंने बरीघाट में 2055 के हिसाब से पर्याप्त पेयजल उपलब्ध न होने के बाद भी योजना को यहां से स्वीकृत करने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी करने की बात कही है। उनका कहना था कि इस प्रकार की लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।


ऐसे बढ़ती गई जल की आवश्यकता
शहर में पेयजल के लिए नगर पालिका द्वारा सबसे पहले 1973 में नल-जल योजना शुरू की गई थी। उस समय आवादी के हिसाब से बरीघाट स्थित जामनी नदी पर 3.35 एमएलडी क्षमता का प्लांट लगाकर पेयजल आपूर्ति शुरू की गई थी। समय के साथ आवादी बड़ी तो 2012 में यहां पर नवीन जलावद्र्धन योजना शुरू की गई और आगामी 20 वर्षों के हिसाब से यहां पर 12.65 एमएलडी का नया प्लांट बनाया गया। एक बार फिर से आगामी 30 वर्षों की पेयजल आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए अमृत 2.0 योजना लागू की गई है। यह योजना वर्ष 2055 की आवादी को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है और इसके लिए 11.83 एमसीएम पानी की जरूरत होगी।


पत्रिका ने पहले किया था आगाह
विदित हो कि इस मामले में पत्रिका ने 14 सितंबर के अंक में खबर का प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसमें 2055 के हिसाब से आवश्यक पेयजल को ध्यान में रखकर पत्रिका ने योजना को लेकर चिंता जाहिर की थी और नए पेयजल श्रोत तलाश करने को कहा था। विदित हो कि शहर मेें लगातार पेयजल की मांग बढ़ रही है और जलश्रोत उस हिसाब से कम पड़ते जा रहे है।