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हाफ ती हुई स्मार्ट क्लास योजना, ग्रामीण स्कूलों में डिजिटल शिक्षा अब भी अधूरी

टीकमगढ़ जिले में स्कूली बच्चों को कंप्यूटर और डिजिटल शिक्षा से जोडऩे के उद्देश्य से शुरू की गई स्मार्ट क्लास योजना इस सत्र में भी अपेक्षित रूप से सुचारु नहीं हो सकी है। वर्ष 2022-23 में शुरू हुई इस योजना के तहत जिले के चार विकासखंडों के हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में 40 स्कूलों […]

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40 स्कूलों में लगाए गए उपकरण, इंटरनेट बिजली के अभाव में ठप पड़ी पढ़ाई

40 स्कूलों में लगाए गए उपकरण, इंटरनेट बिजली के अभाव में ठप पड़ी पढ़ाई

टीकमगढ़ जिले में स्कूली बच्चों को कंप्यूटर और डिजिटल शिक्षा से जोडऩे के उद्देश्य से शुरू की गई स्मार्ट क्लास योजना इस सत्र में भी अपेक्षित रूप से सुचारु नहीं हो सकी है। वर्ष 2022-23 में शुरू हुई इस योजना के तहत जिले के चार विकासखंडों के हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में 40 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं संचालित की जानी थी। इसमें सिर्फ ११ स्मार्ट कक्षाएं चालू हो पाई है।

जिले के हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की जमीनी हकीकत यह है कि शहरी ११ स्कूलों को छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों में २९ योजना अधूरी और हाफ ती हुई नजर आ रही है। कई स्कूलों में उपकरण तो लगा दिए गए, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी नियमित स्मार्ट क्लासें शुरू नहीं हो सकी।

ग्रामीण अभिभावकों और शिक्षा से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी और नियमित निगरानी जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक स्मार्ट क्लास योजना का उद्देश्य पूरा होना मुश्किल है। कई स्कूलों में बिजली की नियमित आपूर्ति नहीं है, तो कहीं गुणवत्तापूर्ण इलेक्ट्रिकल फि टिंग तक नहीं की गई। परिणामस्वरूप कक्षाओं में लगे प्रोजेक्टर, टच स्क्रीन और अन्य उपकरण शोपीस बनकर रह गए है।

प्रशिक्षित स्टाफ की भी भारी कमी

स्मार्ट क्लास के संचालन के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों और तकनीकी स्टाफ की कमी भी बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। इससे डिजिटल शिक्षा की रफ्तार धीमी पड़ गई है और छात्रों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा।

50 हजार से अधिक छात्र लाभ से वंचित

जानकारी के अनुसार स्मार्ट क्लास शुरू न हो पाने के कारण जिले के लगभग 50410 छात्र छात्राएं डिजिटल शिक्षा के लाभ से वंचित रह गए है। शिक्षा विभाग द्वारा स्मार्ट क्लास के लिए मिनी कंप्यूटर, विजुअलाइजर, यूपीएस, कंसोल, प्रोजेक्टर और स्क्रीन जैसे उपकरण लगाए गए थे। इनकी आपूर्ति और स्थापना का ठेका मध्यप्रदेश की केंद्रीय भंडार एजेंसी, भोपाल को दिया गया था।

कागजों में पूरी, जमीन पर अधूरी

कागजों में योजना भले ही पूरी दिखाई दे रही होए लेकिन ग्रामीण स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण इन उपकरणों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। कई स्कूलों में इंटरनेट कनेक्शन अब तक नहीं पहुंच पाया है, जबकि कुछ स्थानों पर उपकरण खराब हो चुके हैं और उनकी मरम्मत समय पर नहीं हो रही।

नाम की रह गई स्मार्ट क्लास

इन समस्याओं के चलते कई स्कूलों में स्मार्ट क्लास केवल नाम मात्र की रह गई है। न तो नियमित कक्षाएं लग रही है और न ही छात्रों को डिजिटल शिक्षा का वास्तविक अनुभव मिल पा रहा है। ग्रामीण स्कूलों के बच्चों को डिजिटल शिक्षा से जोडऩे के लिए ठोस, त्वरित और व्यावहारिक कदम उठाना अब बेहद जरूरी हो गया है।

इन स्कूलों में लगाए गए स्मार्ट कक्षाओं के उपकरण

जिले के टीकमगढ़ में ४ स्कूल, बल्देवगढ़ के ३ स्कूल, पलेरा के दो स्कूल और जतारा के २ स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं संचालित है। बाकी बडांगांव धसान में दो, कुण्डेश्वर में एक, अस्तौन में एक, पठा में एक, बुडेरा में एक, हटा में एक, कारी में एक मवई में एक, खरगापुर में एक, देरी के साथ अन्य स्थानों की स्मार्ट कक्षाएं बंद पड़ी है।

शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में बिजली और इंटरनेट की कनेक्टविटी अच्छी है। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली व्यवस्था की सुविधा पर्याप्त नहीं है। इस कारण से यह योजना कई स्कूलों में बंद है। जल्द ही बंद पड़ी योजनाओं को चालू कराया जाएगा। साथ ही स्मार्ट कक्षाएं लगाई जाएंगी।

अनूप शर्मा, जिला आइटी प्रभारी शिक्षा विभाग टीकमगढ़।