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सुशांत के सुसाइड पर अक्षरा सिंह का बड़ा खुलासा, बोली- फिल्मी दुनिया में ‘नेपोटिज्म’ से ज्यादा ‘ग्रुपिज्म खतरनाक’

भोजपुरी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री अक्षरा सिंह ( famous Bhojpuri actress Akshara Singh ) का कहना है कि फिल्मी दुनिया में नेपोटिज्म से ज्यादा ग्रुपिज्म खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हर जगह है नेपोटिज्म, मगर प्रतिभा को भी सम्मान मिलना चाहिए।

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Akshara Singh

Akshara Singh

बॉलीवुड अभिनेत सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड ( suicide of Bollywood actor Sushant Singh Rajput ) के बाद उनके चाहने वाले काफी दुखी है। अभिनेता की खुदकुशी के बाद इंडस्ट्री में गुटबाजी और नेपोटिज्म ( factionalism and nepotism ) का मामला छाया हुआ है। इस मामले मेें बॉलीवुड के कई बड़े फिल्मकार ( Bollywood filmmakers ) और अभिनेताओं को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। मुंबई पुलिस ( Mumbai Police ) अभिनेता के सुसाइड की जांच कर रही है। इस मामलें में उनके करीबी लोगों के पूछताछ की जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक करीब दो दर्जन लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अभिनेता के खुदकुशी मामले में मुंबई पुलिस ट्विटर की मदद लेगी। सुशांत की आखिरी पोस्ट पिछले वर्ष 27 दिसम्बर को गई थी। पुलिस ने यह भी जानने की कोशिश की कि कहीं उनके इस कदम के पीछे कोई वित्तीय लेनदेन या कोई अन्य परेशानी तो नहीं थी। इसी क्रम में बांद्रा पुलिस ने एक्टर के चार्टर्ड अकाउटेंट के बयान दर्ज किए हैं।

भोजपुरी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री अक्षरा सिंह ( famous Bhojpuri actress Akshara Singh ) का कहना है कि फिल्मी दुनिया में नेपोटिज्म से ज्यादा ग्रुपिज्म खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हर जगह है नेपोटिज्म, मगर प्रतिभा को भी सम्मान मिलना चाहिए। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद देशभर में बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर आक्रोश है। अक्षरा ने माना है कि हर जगह नेपोटिज्म है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि गैर फिल्मी बैकग्राउंड से आने वाले प्रतिभाशाली लोगों की अनदेखी हो।

उन्होंने कहा, जिसके माता-पिता जिस भी क्षेत्र में होते हैं, वे चाहते हैं कि उनका बच्चा उसी क्षेत्र में कदम रखे। इन सबके बावजूद कई लोग गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आये और अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ गए। उन्होंने कहा, मेरे ख्याल से हर जगह प्रतिभा को सम्मान मिलना चाहिए और उसे आगे बढ़ने देना चाहिए। मेरे ख्याल से हम सभी कलाकारों को जो एक्टर बनने के लिए जाते हैं और प्रतिभाशाली हैं, उन्हें मौका मिलना चाहिए। साथ ही उसी प्रक्रिया से स्टार किड्स को गुजरना चाहिए। उन्हें भी ऑडिशन की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए। उन्होंने नेपोटिज्म से ज्यादा ग्रुपिज्म को खतरनाक बताया और कहा कि इसका शिकार हर कलाकार से लेकर छेाटे तकनीशयन तक हैं।