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मरीज छोड़ दवा बांटने का काम कर रहे है कम्पाउण्डर, फार्मासिस्टों की कमी से नर्सेज पर दोहरा भार

जिला अस्पताल समेत शहर की चारों डिस्पेन्सरियों व जिले के चार दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी फार्मासिस्टों के अभाव में नर्सेजकर्मी ही दवा वितर

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Pawan Kumar Sharma

Aug 06, 2017

टोंक.

प्रदेश के अधिकांश अस्पतालों में फार्मासिस्टों की कमी के चलते चिकित्साकर्मी दवा बांट रहे हैं। इससे अस्पतालों में नर्सिंगकर्मियों की कमी मरीजों के स्वास्थ्य पर भारी साबित हो रही है। अकेले सआदत अस्पताल में ही सभी वार्डों में फार्मासिस्टों के बदले नर्सिंगकर्मी उपचार करना छोड़ दवा की देखरेख में जुटे हैं। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने आदेश जारी कर भर्ती मरीजों को वार्ड में ही दवा उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए थे।
इसके तहत सआदत अस्पताल के मेडिकल, सर्जिकल, नर्सरी, आपातकालीन, ऑपरेशन थियेटर, ओपीडी, शिशु समेत १३ वार्डों में अंदर ही दवा वितरण केन्द्र बना दिए गए।

अस्पताल प्रशासन के निर्देशानुसार सभी वार्डों में नर्सिंगकर्मियों को दवा का लेखा-जोखा संधारण व दवा वितरण करना होता है। इससे नर्सेज पर दोहरा भार है। पहले से नर्सिंगकर्मियों की चली आ रही कमी के बाद आधा दर्जन चिकित्साकर्मियों को और फार्मासिस्टों के स्थान पर लगाए जाना उपचार पर भारी पड़ रहा हैे। हालांकि परिसर में आउटडोर रोगियों को वितरण के लिए बनाए गए नि:शुल्क दवा केन्द्रों पर तो एक-एक फार्मासिस्ट नियुक्त है। इसके बावजूद इनके अवकाश पर रहने की स्थिति में नर्सेजकर्मी दवा बांटने पर विवश हैं।


सार-सम्भाल भी ठीक नहीं
जिला अस्पताल समेत शहर की चारों डिस्पेन्सरियों व जिले के चार दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी फार्मासिस्टों के अभाव में नर्सेजकर्मी ही दवा वितरण में जुटे हैं। चिकित्साकर्मियों का कहना है कि वितरण केन्द्रों पर फार्मासिस्ट ही लगाए जाने चाहिए, जिससे दवा की देखरेख उचित प्रकार से हो सके। इसके साथ ही नर्सिंगकर्मियों पर अतिरिक्त भार भी नहीं रहेगा तथा मरीजों को भी समय पर उपचार मिलेगा।

अलग-अलग होता काम
फार्मासिस्टों के अभाव में मरीजों को दी जाने वाली नि:शुल्क दवाओं की उचित देखरेख नहीं हो पा रही। फार्मासिस्ट भवानीशंकर शर्मा के अनुसार स्टोर में दवा का रखरखाव, उचित प्रबन्धन, रसायन के ज्ञान की जो जानकारी फार्मासिस्ट को होती है, वो नर्सेज को नहीं होती। प्रशिक्षण काल के दौरान चार वर्षों तक उचित तापमान, केमिकल ज्ञान व दवा का प्रबन्धन आदि ही तो फार्मासिस्ट को सिखाया जाता है, जबकि नर्सिंगकर्मी को चिकित्सक के परामर्श अनुसार रोगी की सेवा व उपलब्ध दवा से चिकित्सा करना बताया जाता है।
आधा दर्जन नए लगाए है।


पद भरने का काम सरकार का है। हालांकि आधा दर्जन नए फार्मासिस्ट लगाए गए हैं। इससे व्यवस्थाओं में सुधार होगा। इसके बावजूद वार्डों में नर्सेज का ही सहारा लेंगे।
खेमराज बंशीवाल, उपनियंत्रक, सआदत अस्पताल टोंक।

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