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दीपावली पर हस्तनिर्मित गाय के गोबर से बने उत्पाद दे रहे चीन को चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को साकार करने व गो संवर्धन और संरक्षण के लिए चीनी उत्पादों से सीधा मुकाबला करने के लिए गाय के गोबर से हस्तनिर्मित स्वदेशी दीपावली के उत्पाद बाजार में लोगों की पंसद बने हुए है।

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दीपावली पर हस्तनिर्मित गाय के गोबर से बने उत्पाद दे रहे चीन को चुनौती

दीपावली पर हस्तनिर्मित गाय के गोबर से बने उत्पाद दे रहे चीन को चुनौती

टोंक. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को साकार करने व गो संवर्धन और संरक्षण के लिए चीनी उत्पादों से सीधा मुकाबला करने के लिए गाय के गोबर से हस्तनिर्मित स्वदेशी दीपावली के उत्पाद बाजार में लोगों की पंसद बने हुए है। दीपावली पर्व पर अपने घरों को जगमग करने के लिए दीपक एवं लक्ष्मी व गणेशजी की पूजा के लिए गाय के गोबर से बनी प्रतिमाएं लोगों को रास आ रही है।

शहर के गीता मंदिर टोंक में गाय के गोबर से निर्मित दीपावली की पूजा के लिए विभिन्न उत्पाद लोगों की पहली पसंद बन हुए है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ टोंक के सह नगर कार्यवाह सुनील अग्रवाल ने बताया कि संघ की ओर से वर्ष 1981 में बाढ़ के बाद चाकसू के समीप लोगो के पुनर्वास के लिए केशवपुरा नामक गांव बसाया गया था।

इस साल गांवों को आत्मनिर्भर बनाए जाने का निर्णय लेते हुए केशवपुरा गांव में संघ की पहल से गाय के गोबर से दीपावली के लिए विभिन वस्तुएं बनाई गई है। वर्तमान में गांव में करीब 55 घरों के 100 से अधिक महिला- पुरुष गोबर से उत्पाद बानने का काम कर रहे है।


अग्रवाल ने बताया कि सभी उत्पाद व पूजा की सामग्री केशवपुरा के निवासियों के हाथों से ही निर्मित की गई है। ताकि उन लोगों को रोजगार मिल सकें, वही घरों में गाय के गोबर की वस्तुएं भी पहुंच सके। अग्रवाल ने बताया कि केशवपुरा के लोगों द्वारा बनाई गई लक्ष्मी व गणेशजी की मूर्ति, गाय के गोबर के दीपक, शुभ व लाभ तथा स्वास्तिक व ओम की मांग है, जो टोंक में उपलब्ध है।

रेडिएशन भी होता है कम

ग्राम विकास गोसेवा विभाग केशवपुरा से जुडे राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि जिस प्रकार से सेना के बंकर पर रेडिएशन को कम करने के लिए गोबर का लैप किया जाता है। उसी तरह इन गोबर के उत्पादों से घर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाले रेडिएशन को भी कम किया जा सकता है। पदाधिकारियों के अनुसार इसके अलावा होली पर भी गाय के गोबर से गुलाल बनाया गया था, जिसकी की बाजार में लोगों अच्छी मांग थी।