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शहर में सजने लगे रावण के पुतले: दशहरे पर जगह-जगह होगा दशानन का दहन

रावण के पुतलों की संख्या में हर साल अच्छी वृद्धि हो रही है। विभिन्न रंगों में विभिन्न साइज के रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर है।  

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शहर में सजने लगे रावण के पुतले: दशहरे पर जगह-जगह होगा दशानन का दहन

शहर में सजने लगे रावण के पुतले: दशहरे पर जगह-जगह होगा दशानन का दहन

बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरे के पर्व पर रावण के पुतले का दहन 24 अक्टूबर को किया जाएगा। शहर में दशहरे की रौनक दिखने लगी है। पुतले जलाने का चलन भी बढ़ गया है। गली-मोहल्लों में भी रावण दहन के आयोजन होने लगे हैं। ऐसे में कई लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है। हालांकि महंगाई का असर इस वर्ष रावण के पुतलों पर भी आ गया है।

4000 रुपए तक के रावण के पुतले

पिछले वर्षों तक 100 रुपए में उपलब्ध होने वाले रावण के पुतले इस वर्ष 300 रुपए में बिक रहे हैं। बाजार में 4000 रुपए तक के रावण के पुतले उपलब्ध है। इसके साथ ही लोगों की मांग के अनुसार और महंगे में भी रावण बनाए जा रहे हैं। रावण के पुतले बनाने में निर्माण लागत ही बढ़ गई है।

साइज अलग-अलग

रावण के पुतले बना रहे लाला ने बताया कि टोंक में भी लोगों की मांग पर 21 फीट तक के पुतले बनाए गए हैं। अलग-अलग साइज के पुतलों की कीमत भी 500, 800, 900, 1000, 1500 , 2000 व 4000 रुपए तक है। उन्होंने बताया कि बड़े साइज के पुतले बनाने में 1500 से 2500 रुपए तक का सामान का खर्चा हो जाता है।

गत वर्ष से अधिक मांग

रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे राजू व लाला ने बताया कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में रावण पुतले की मांग भी काफी ज्यादा है। गली-मोहल्लों से लेकर कालोनियों में भी रावण के पुतले जलाए जाते हैं, इसलिए ऑर्डर पर भी पुतले बनवाए जा रहे हैं। लोगों की मांग के अनुसार ही रावण के पुतले बाजार में लाए गए हैं।

पांच से 21 फीट तक के ले रहे आकार

रावण के पुतलों की संख्या में हर साल अच्छी वृद्धि हो रही है। विभिन्न रंगों में विभिन्न साइज के रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर है। कामधेनू सर्कल के पास रावण के पुतले बना रहे राजू ने बताया कि पांच फीट से 21 फीट के पुतलों की ज्यादा मांग है। इस साइज के पुतलों को ले जाना और दहन के स्थान पर लगाना आसान होने के साथ साथ ये सस्ते भी होते हैं।

पटाखों की कीमत शामिल नहीं

हर साल रावण के पुतलों की मांग बढ़ रही है। दहशरे से एक माह पूर्व परिवार के लोग रावण के पुतले बनाने में व्यस्त रहते हैं और बाकी समय दूसरा काम करते हैं। पुतलों को लकडी के बांस और रंगीन कागज की सहायता से तैयार किया जाता है। रावण के पुतले में पटाखों की कीमत शामिल नहीं की जाती है।