21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बीसलपुर बांध की गोद में बसा राजमहल गांव, फिल्टर प्लांट होने बाद भी ग्रामीण फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर

राजमहल कस्बे सहित आसपास के गांव ढाणियों में फिल्टर प्लांट से पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं करवाया गया।

2 min read
Google source verification
बीसलपुर बांध की गोद में बसा राजमहल गांव, फिल्टर प्लांट होने बाद भी ग्रामीण फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर

बीसलपुर बांध की गोद में बसा राजमहल गांव, फिल्टर प्लांट होने बाद भी ग्रामीण फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर

राजमहल. पंचायत क्षेत्र में राज्य की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना बीसलपुर बांध होने के साथ ही बीसलपुर-टोंक-उनियारा पेयजल परियोजना का फिल्टर प्लांट भी है, जहां से लोगों के कंठ तर करने के लिए रोजाना शुद्ध जलापूर्ति की जा रही है। वहीं बांध की गोद में बसा राजमहल गांव आज भी पर्याप्त फिल्टर पानी के लिए तरस रहा है।

इसी प्रकार बांध से जयपुर अजमेर सहित टोंक जिले की लगभग एक करोड़ आबादी शुद्ध पानी पी रही है। वहीं राजमहल गांव व पंचायत क्षेत्र के गांव ढाणियों के ग्रामीण आज भी बनास में बहता पानी या फिर हैंडपंपों व निजी ट्यूबेलों का फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने इसको लेकर कई बार आंदोलन भी किए है।

साथ ही गांव में हो चौपाल व प्रशासन की जन सुनवाई में गांव के लोगों ने अधिकारियों के सामने शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने की गुहार लगाते आये हैं, लेकिन फिर भी राजमहल कस्बे सहित आसपास के गांव ढाणियों में फिल्टर प्लांट से पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं करवाया गया। जिससे गांव में दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।


मांग से आधी आपूर्ति-
राजमहल कस्बे में बीसलपुर टोंक उनियारा के पेयजल फिल्टर प्लांट से रोजाना लगभग 3 लाख लीटर पानी दिया जाता है, वही गांव की आबादी के अनुसार गांव में रोजाना 6 लाख लीटर पानी की जलापूर्ति की जाती है। ऐसे में जलदाय विभाग की ओर से 3 लाख लीटर पानी फिल्टर प्लांट से व तीन लाख लीटर पानी बनास नदी के बीच बने ट्यूबेलों से दिया जाता है, जो फिल्टर नहीं होकर सीधे पाइप लाइन से नलों में पहुंचाया जाता है।

मंत्री के आदेश बेअसर-
राजमहल में बीसलपुर टोंक उनियारा पेयजल परियोजना के फिल्टर प्लांट के निर्माण के दौरान निर्माण को लेकर निरीक्षण पर आई तत्कालीन जल संसाधन मंत्री किरण माहेश्वरी के समक्ष गांव के लोगों ने प्रदर्शन कर पहले चरण में राजमहल कस्बे में जलापूर्ति की मांग की थी, जिस पर माहेश्वरी ने फिल्टर प्लांट के पानी पर पहला हक राजमहल कस्बे का बताते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन वह आदेश भी सरकार के जाते ही बेअसर हो गए।