
मिट्टी के सजावटी सामान से बन रही है पहचान
मिट्टी के सजावटी सामान से बन रही है पहचान
जिले में बढ़ रहा है कारोबार
टोंक. मिट्टी के सजावटी सामान से टोंक की पहचान बनती जा रही है। यह कारोबार मालपुरा और निवाई ब्लॉक में तेजी से बढ़ रहा है। घर को समाने तथा घरेलू उपयोग के लिए इनकी मांग बढ़ती जा रही है।
निवाई में एक दर्जन से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं। वहीं मालपुरा का पचेवर कस्बा मिट्टी की कलाकृतियों से पहचान बना रहा है। यहां मिट्टी से बनी भगवान की मूर्तियां, खिलौने, घरेलू बर्तन व अन्य सजावटी सामान की कलाकृतियां राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा के नाम से महशूर है।
राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा के कलाकार मोहन लाल कुम्हार मिट्टी से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर सुनहरी किस्मत गढ़ रहे है। मिट्टी की कला से मोहन लाल कुम्हार की जिंदगी सुनहरी हो गई है। मिट्टी को अनेकों रूप में ढालने के लिए मशहूर है।
मोहन ने बताया कि बचपन में पिता को मिट्टी के बर्तन बनाते देखा करता था। जब विद्यालय से पढ़ाई करके घर लौटता तो पिता के पास मिट्टी के बर्तन बनाने की कला भी सीखता गया। इसी के साथ मिट्टी से पानी की मटकियां बनाना सीख गया। मोहन लाल पांचवीं कक्षा तक पढ़े हुए हैं।
इसके बाद जयपुर शहर में लगभग बीस वर्ष ब्लू पोटरी का कार्य किया। अपने पैतृक गांव पचेवर आकार राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा के नाम से मिट्टी की विभिन्न कलाकृतियां बनाने लगे। यह कार्य पिछले दस वर्षों से किया जा रहा है। इन विभिन्न कलाकृतियों में मशीनरी का उपयोग नहीं कर अपने हस्तकला का प्रदर्शन किया जा रहा है।
मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां का सामान राजस्थान के साथ बेंगलूर, कर्नाटक, चैन्नई व दिल्ली के हाट बाजार में राजस्थानी हेंडिक्राफ्ट टेराकोटा के नाम से बिकता है। विभिन्न राज्यों में लगने वाले मेलों में भी इनकी खूब बिक्री होती है। टेराकोटा की इन कलाकृतियों को देखकर विदेशी सेलानियों भी आकर्षित हो जाते हैं।
राजीविका के जिला तकनीकी विशेषज्ञ संजय जांगिड़ ने बताया कि पेपरमैसी का कार्य जिले में लगातार बढ़ रहा है। यह घर की सजावट के साथ-साथ उपयोगी भी है।
Published on:
10 Sept 2021 08:19 pm
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