टोंक. बाल-विवाह और अन्य कुप्रथाओं पर रोक लगाने के लिए रंगमंच से जुड़े कलाकार दर्जनों प्रस्तुतियां देकर लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि अब उनके पास लोग ऐसी कुप्रथाओं और समस्याओं को लेकर आने लगे हैं। खासतौर पर विद्यालयों के विद्यार्थी अब जागरूक होने लगे हैं। विद्यालय में रंगमंच (थियेटर इन स्कूल) पहल के तहत बाल विवाह जैसे आपराधिक कुप्रथाओं पर प्रभावी संवाद स्थापित करने की दिशा में नाटक ज्योति परस्पर संवाद (इंटरैक्टिव) प्रक्रिया से गुथा हुआ एक सामुदायिक नाटक है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के कम्युनिटी थिएटर टोंक के समूह द्वारा स्कूलों में एवं अन्य स्थानों पर इसका मंचन किया जा रहा है।
नाटक की पृष्ठभूमि ग्रामीण परिवेश की:
विद्यालय के छात्र.छात्राओं से व्यवस्थित और सघन बातचीत के माध्यम से कई मुद्दों का चयन किया है। इन चयनित मुद्दों में बाल विवाह जैसे मुद्दे पर सक्रिय संवाद का अभाव महसूस हुआ। ऐसे में समूह द्वारा सामाजिक सांस्कृतिक सजगता के लिए ज्योति नाटक की रचना की है। इस ज्योति नाटक की पृष्ठभूमि आज का वर्तमान गांव है। इसमें गांव समुदाय के पात्र मुख्य रूप से दिखाई देते हैं।
93 मंचन हो चुके
समूह सदस्यों ने बताया कि 5 जुलाई 2019 से चल रही इस यात्रा में नाटक ज्योति के 93 मंचन टोंक जिले के के लगभग सभी ब्लॉक के साथ साथ राजस्थान के अलग अलग जिलों में समूह द्वारा किए जा चुके हैं। इन प्रस्तुतियों के तहत अभी तक 21538 विद्यार्थी, 2357 शिक्षक, 2791 समुदाय के साथ संवाद स्थापित किया जा चुके हैं, जिसके कुछ सकारात्मक प्रभाव भी समूह को देखने को मिला।
यह है नाटक का उद्देश्य
नाटक ज्योति के मंचन का उद्देश्य है कि शिक्षा के माध्यम से समाज में चल रही सामाजिक मान्यताओंए कुरीतियों को किस प्रकार खत्म कर समाज में बदलाव लाया जा सकता है और किस प्रकार निरंतर संवाद की सीढ़ी तैयार की जा सकती है। नाटक में मंच पर ज्योति के किरदार में मोहित वैष्णव, पिता दीपक कुमार, मां अमन तसेरा, ग्रामवासी रवि चावला, आफताब नूर, फिरोज आलम, नीलेश तसेरा एवं सुगमकर्ता चितरंजन नामा रहते हैं।
इस तरह ला रहे बदलाव
केस 1
राउमा विद्यालय बनेठा में इसकी पहली विद्यालयी प्रस्तुति की गई। इस प्रस्तुति में नाटक अपने उद्देश्यों के साथ मजबूती से खड़ा दिखा और विद्यालय की कक्षा आठ की एक छात्रा ने नाटक के बाद अपने विचार रखे। विद्यालय में उपस्थित समूचा शिक्षक समूह भौचक्का रह गया कि जो छात्रा बहुत कम बोलती है, उसने 5 से 7 मिनट तक लगातार बाल विवाह से दूषित हुए परिवारों के बारे में अनुभव चित्र साझा किए और बाल विवाह विरोध में मत दर्ज किया।
केस 2
उनियारा में प्रस्तुति के बाद समूह वहां से टोंक शहर निकलने की तैयारी में थे। विद्यालय की छात्राओं का एक समूह वहां बैठा था। उस समूह में एक बालिका अपनी बड़ी दीदी के बाल विवाह को लेकर बात कर रही थी कि दीदी की भी कम उम्र में शादी कर दी। जबकि वो पढऩे में बहुत अच्छी थी। तभी उसके साथ बैठी एक अन्य बालिका खुद के बाल विवाह को लेकर अपनी बात हमारे समूह से और शिक्षकों से कही।
केस 3
टोडारायसिंह ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मुंडियाकलां के कक्षा दसवीं की एक छात्रा ने बाल विवाह को रोकने के लिए जयपुर क्षेत्र के एक पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए अपने बाल विवाह को रुकवा लिया। यह जानकारी समूह को विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेश कुमार शिल्पकार द्वारा दी।
केस 4
मालियों की झोपड़ी मेहंदवास विद्यालय की छात्रा शिक्षकों द्वारा शांत स्वभाव की मानी जाती रही है। वह पात्र जगदीश जब गांव और समाज की बात करते हैं तो कहती है कि ज्योति का बाप समाज है या आप हो। ज्योति अगर पढ़ जाएगी तो वही समाज आपको कहेगा कि जगदीश तूने क्या किया है अपने जीवन में तेरी बेटी ने किया है गांव काए विद्यालय का नाम रोशन।
चौंकाने वाली बातें आई सामने
नाटक के दौरान और बाद में कई बार छात्राओं द्वारा बताई गई चौंकाने वाली बातें सामने आई है। उनका समस्या का समाधान कराने का भी प्रयास किया है। अब लगातार जागरूकता आ रही है।
राजकुमार, रंगमंच कलाकार