
गत वर्ष मानसून की बेरूखी के चलते पानी की आवक कम रहने से बीसलपुर बांध का गला तर करने वाली मुख्य नदी में शामिल बनास नदी के कंठ भी दिनों-दिन सूखने लगे हैं
गत वर्ष मानसून की बेरूखी के चलते पानी की आवक कम रहने से बीसलपुर बांध का गला तर करने वाली मुख्य नदी में शामिल बनास नदी के कंठ भी दिनों-दिन सूखने लगे हैं। बनास नदी के कंठ सूखने के साथ ही बांध का जलभराव रूपी गला भी इन दिनों सूखता जा रहा है।
जलापूर्ति पर संकट के बादल
हालांकि बांध में भरा पानी इस वर्ष मानसून सत्र के बाद तक भी पेयजल के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। उसके बाद फिर से मानसून की बेरुखी रहती है तो अगले वर्ष जयपुर, अजमेर के साथ ही टोंक जिले की जलापूर्ति पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
कुछ इलाकों में ही बचा पानी
बीसलपुर बांध की डाउन स्ट्रीम में अरावली पर्वत मालाओं की श्रृंखला के बीच सर्प की भांति बल खाती बनास नदी में भीषण गर्मी के चलते सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। जहां राजमहल कस्बे के शिलाबारी दह में महज झील की भांति कुछ इलाके में पानी बचा हुआ है शेष बनास का हिस्सा सूखकर रेतीले रेगिस्तान में बदल चुका है।
570 किमी में बहती है बनास
बीसलपुर बांध को भरने के लिए सबसे अधिक 85 से 90 प्रतिशत जल देने वाली बनास नदी राजसमंद जिले के खमनोर के निकट वीरों के मठ नामक पर्वत मालाओं से निकलती है। जो चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक व सवाई माधोपुर जिले से बहती हुई 570 किमी की दूरी तय करते हुए सवाई माधोपुर जिले के रामेश्वर नामक स्थान पर चंबल में विलीन हो जाती है।
Published on:
19 May 2024 04:00 pm
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