बालिका विद्यालयों के बाहर पुलिस की ओर से बेटियों की सुरक्षा में अनदेखी बरती जा रही है।
राकेश पालीवाल
टोंक. मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में 7 वर्ष जयपुर के कानोता में गत दिनों तीन वर्ष की मासूम के साथ हुए दुष्कर्म के बावजूद बेटियों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार नहीं चेत रहे हैं। जिले में सुरक्षा के इंतजाम कागजी खानापूर्ति साबित हो रहे हैं। बालवाहिनियों मेंं महिला स्टाफ नहीं है।
यही नहीं विद्यालय व महाविद्यालयों के बाहर सीसीटीवी का अभाव होने के साथ-साथ बालिका विद्यालयों के बाहर पुलिस की ओर से बेटियों की सुरक्षा में अनदेखी बरती जा रही है। विद्यार्थियों की आवाजाही में लगे वाहनों के कर्मचारियों का भी पुलिस के पास विशेष रिकॉर्ड नहीं है।
चौंकाने वाली बात यह थी कि नियमों को ठेंगा दिखाते हुए बालवाहिनी के रूप में कई निजी वाहन भी बेटियों को लाने व ले जाने में लगे हंै। ऐसे में पग-पग पर बरती जा रही लापरवाही से बेटियों के सिर पर खतरा मण्डरा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के मंदसौर में 7 वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इसको लेकर देशभर में प्रदर्शन भी हुए। इसी प्रकार तीन जुलाई को जयपुर के कानोता के अपने दो भाई-बहनों के साथ घर के बाहर चबूतरे खेल रही तीन साल की मासूम के साथ न उम्र देखी न नाता, अंकल ही हैवान बन बैठा।
पलक झपकते ही हो रही कैद
अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन होने से पलट झपकते ही महिलाएं व युवतियां कैमरे में कैद हो रही है। इसके भी कई दुष्प्रभाव व अन्य मामले सामने आ रहे हैं। मनचलों की ओर से लिए गए फोटो के गलत इस्तमाल के मामने भी सामने आए हैं।
इस तरह हो रहे हम बेपरवाह
-अभिभावक बेटियों को गुडटच व बेडटच के बारे में जानकारी नहीं दे रहे है। जबकि वर्तमान में यह जरूरी है।
-विद्यालयों के अन्दर व बाहर सीसीटीवी का अभाव है। ऐसे में कौन आया व कौन गया, इसकी जानकारी नहीं होती।
-विद्यालयों में प्रवेश व छुट्टी के दौरान मार्ग में समाजकंटकों का जमावड़ा बना रहने के बावजूद लोग पुलिस मे शिकायत दर्ज नहीं करा रहे।
- बेटियों को लाने व ले जा रहे ऑटो रिक्शा धारकों की अभिभावकों के पास जानकारी का अभाव रहता है। कभी कौन लेने आया तो किसी दिन किसी के बदले दूसरा लेने पहुंच गया।
फैक्ट-फाइल
श्रेणी विद्यालय
राउमावि 205
रामावि 72
राउप्रावि 514
राप्रावि 689
निजी राउमावि 155
निजी सैकण्डरी170
निजी मीडिल 471
शिक्षाअधिकारी बोले, ये होना जरूरी
-वाहन पीले रंग से पुता हुआ हो
-बेटियों के वाहन में महिला स्टाफ का होना जरूरी
-वाहन पर बालवाहिनी लिखा हुआ हो
-दरवाजे पर लॉक लगने की व्यवस्था हो
-वाहन पर चालक, परिचालक व विद्यालय के नाम व मोबाइल नम्बर लिखे हुए हो
-वाहनों का परमिट व फिटनेस हो
- खिड़कियों पर रैलिंग लगी हुई हो
-चालक पांच वर्ष से अधिक अनुभवी वाला हो।
-वाहन के साथ कैयरटेकर होना जरूरी है, जो बालकों को चढ़ा व उतार सके।
-विद्यालयों के बाहर सीसीटीवी होना जरूरी है।