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तालाब बने गंदगी का सागर

टोंक. नगर परिषद की अनदेखी से शहर के जलाशय धीरे-धीरे गंदगी के सागर में तब्दील होते जा रहे हैं। इसके चलते इन जलाशयों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। वहीं कचरे की सड़ांध से आसपास के लोगों का जीना दूभर हो रहा। इससे बीमारियां भी पैर पसार रही है।

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टोंक में स्थित धन्नातलाई में पड़ा कचरा।

टोंक. नगर परिषद की अनदेखी से शहर के जलाशय धीरे-धीरे गंदगी के सागर में तब्दील होते जा रहे हैं। इसके चलते इन जलाशयों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। वहीं कचरे की सड़ांध से आसपास के लोगों का जीना दूभर हो रहा। इससे बीमारियां भी पैर पसार रही है।

शहर में कभी लोगों के नहाने धोने और मवेशियों के पानी के पीने के काम आने वाले धन्नातलाई, खलील सागर व तेलियान तालाब सहित अन्य तालाबों का पानी कचरा डालने से कीचड़ में तब्दील होता जा रहा है। हालात यह हैं कि इन तालाबों में आसपास के कुछ लोग कचरा भी डाल रहे हैं।

धन्नातलाई व खलील सागर के किनारे कचरे से अटे हुए हैं। कई बार सफाईकर्मी भी यहां कचरा डालने से बाज नहीं आते हैं। तालाबों में कीचड़ से मच्छर भी पनप रहे हैं, जो आसपास के क्षेत्र के लोगों में बीमारियों का कारण बनते जा रहे हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस बारे में नगर परिषद आयुक्त से लेकर जिला कलक्टर तक गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन इन तालाबों की सुध नहीं ली जा रही।

तीन दिन कोशिश, फिर भूले

नगर परिषद की ओर से एक बारगी इन तालाबों की सफाई कराने का कदम उठाने की कोशिश की गई। इसके चलते गत दिनों नगर परिषद ने धन्नातलाई में जनरेटर लगवा कर गंदा पानी निकलवाने का काम शुरू कराया, लेकिन तीन दिन बाद यह काम अचानक बंद कर दिया गया। इसके बाद से परिषद की ओर से फिर इस समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है।

वहीं 1994 में नगरपरिषद के तत्कालीन सभापति गणेश माहुर के कार्यकाल में तेलियान तालाब को पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसे लेकर परिषद की ओर से योजना भी बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन बाद में यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

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