नतीजन दोबारा से सीवरेज का टेंडर जारी किया गया है। अभी भी कार्य शुरू होने में समय लगेगा। ऐसे में शहर के लोगों को स्वच्छता व पेयजल की उम्मीद मुंगरेलाल के हसीन सपना जैसी हो गई है। आरयूआइडीपी की गत 26 मई को टेक्नीकल बीड व गत 31 जुलाई को वित्तिय तकनीकी निविदा राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के समक्ष खोली है। इसके बाद इसकी मंजूरी के लिए एडीबी व राज्य सरकार को भेजा गया है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से मंजूरी मिलने के बाद ही टोंक में अधूरे पड़े पेयजल और सीवरेज के कार्य होंगे।
2015 में हुआ था कार्य शुरू: राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना के तृतीय चरण में एशियाइ विकास बैंक के वित्तीय सहयोग से 388 करोड़ रुपए की लागत से 16 नवम्बर 2015 को शहर में पेयजल व सीवरेज का कार्य शुरू हुआ था। इसे 14 नवम्बर 2018 तक पूरा किया जाना था। यह कार्य पूरा होने के बाद 2028 तक संचालन व रखरखाव निर्माण कम्पनी को ही दिया गया था, लेकिन उक्त कम्पनी की ओर से कार्य बहुत ही धीमा किया गया।
परियोजना के अनुसार पुलिस लाइन, केप्टन कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड, सिंधी कॉलोनी, रैगर बस्ती, अन्नपूर्णा कॉलोनी, संतोष कॉलोनी, गणपति नगर, सरपंच कॉलोनी आदि इलाके लाभांवित क्षेत्रों में शामिल हैं। तीन अधूरे कार्य होंगे
शहर में पेयजल के लिए 430.55 किलोमीटर पाइप लाइन का कार्य किया जाना था, जिसमें से 172.591 किमी कार्य हो पाया था। इसको पूरा करने के लिए अब 257.959 किमी का कुल कार्य किया जाना शेष है। इसी प्रकार शहर में पेयजलापूर्ति के लिए अन्नपूर्णा गणेश मंदिर, सोंलगपूरा माताजी के पास, बीालपुर कॉलोनी व रामद्वारा स्थित 4 उच्च जलाशय के लिए टंकियों का निर्माण भी 81 प्रतिशत ही हुआ है। इनका भी 19 प्रतिशत कार्य होना शेष है। इसी प्रकार शहर के किदवई पार्क, जेल रोड व हाउसिंह बोर्ड क्षेत्र मेंं ग्राहक सहायता प्रबंध केन्द्र का कार्य भी 70 प्रतिशत ही हो पाया है।
आरयूआइडीपी की ओर से निर्माण करने वाली कम्पनी ने तीन साल पहले शहर के कई इलाकों में पाइप लाइन डालते समय गड्ढे खोदे थे। नियमानुसार उनकी मरम्मत हाथों हाथ करनी थी, लेकिन अनदेखी के चलते ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में कई इलाकों में पाइप लाइन डालते समय तोड़ी गई सडक़ों के गड्ढे अब लोगों को जख्म दे रहे हैं। इन गड्ढों में गिरकर कई लोग चोटिल हो चुके हैं।