
शाला दर्पण में उलझ ‘बाबू’ बन गए सरकारी शिक्षक, विद्यालयों में चौपट हो रहा शिक्षण कार्य
दूनी. सरकार ने प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कार्य की पारदर्शिता लाने के लिए शुरू किया शाला दर्पण ऑनलाइन कार्य धीरे-धीरे कार्यरत शिक्षकों के गले की फांस बनता जा रहा है। विद्यालय में ऑनलाइन कार्य में उलझ शिक्षक बाबू बनकर रह गए है। इससे विद्यालयों में शिक्षण कार्य चौपट होने लगा है तो विद्यार्थियों को भी अपने भविष्य की चिंताएं सताने लगी है।
उल्लेखनीय है कि शाला दर्पण कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालय के शिक्षकों को कम्प्यूटर एवं लिपिक के अभाव में प्रतिदिन दुग्ध, साइकिल वितरण, साप्ताहिक कार्यक्रम, आयोजित होने वाली प्रतियोगिताएं, विद्यालय आय-व्यय, शाला प्रबंधन समिति विवरण, शिक्षकों से सम्बंधित सूचना, पोषाहार सम्बंधी विवरण, विद्यार्थी विवरण, छात्रवृति सूचना, परीक्षा परिणाम, नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तक वितरण, विद्यालय उत्सव सम्बंधित सहित अन्य सुचनाएं ऑनलाइन भिजवानी होती है।
ऐसे में उन्हें शिक्षण कार्य छोड़ एक अन्य शिक्षक को साथ लेकर कम्प्यूटर व लेपटॉप पर प्रतिदिन ऑनलाइन करनी होती है। कई बार तो सूचनाएं भेजे जाने के बाद भी उच्चाधिकारियों की ओर बार-बार अपडेट मांगे जाने से उन्हें परेशान होना पड़ता है।
अध्यापक परशुराम जाट ने बताया कि प्रारम्भ में तो ऑनलाइन कार्यक्रम सीमित स्तर पर शुरू हुआ शाला दर्पण कार्यक्रम वर्तमान में अत्यधिक विस्तृत स्तर पर हो चुका है, जिसमें आए दिन नई-नई प्रविष्टियां एवं उनका अपडेट मांगा जा रहा है। इसमें विद्यालय के दो शिक्षक तो कम से कम अनवरत रूप से लगे रहते है।
ऐसे में विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्थाएं प्रभावित होने के साथ ही शिक्षक अतिरिक्त कार्य के बोझ में दबने से विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। उन्होंने बताया कि कई विद्यालयों में तो कम्प्यूटर व लिपिक है वहां तो ऑनलाइन कार्य सुचारू चल जाता है, लेकिन कई विद्यालयों में न तो कम्प्यूटर है और ना ही लिपिक ऐसे में शिक्षकों को दुसरे विद्यालयों में जाकर अपना निजी लेपटॉप विद्यालय में लाकर ऑनलाइन कार्य करना पड़ रहा है।
सम्बंधित पीओ केन्द्र में करे ऑनलाइन
शाला दर्पण राज्यस्तरीय कार्यक्रम है। आरएससीआइटी कर चुके शिक्षक शिक्षण कार्य के बाद शेष समय में शाला दर्पण का ऑनलाइन कार्य करे। जहां विद्यालय में कम्प्यूटर व लिपिक नहीं है, वहां शिक्षक सम्बंधित पीओ केन्द्र में जाकर ऑनलाइन कार्य कर सकते, लेकिन विभाग के निर्देशानुसार करना उनको ही है।
-उपेन्द्र रैणा जिला शिक्षाधिकारी प्रारम्भिक, टोंक
Published on:
27 Nov 2019 06:07 pm
बड़ी खबरें
View Allटोंक
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
