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माउंट आबू- अरावली पर्वत मालाआें से घिरा हुआ एक खूबसूरत शहर, एक बार जरूर करें सैर

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7 years ago
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रेतीले राजस्थान में गुजरात के नजदीक हरेभरे पहाड़ो से घिरा हुआ माउंट आबू बरबस ही सैलानियों को अपनी आेर खींच लेता है। अरावली पर्वत मालाआें को परिपूर्ण करता माउंट आबू एक सुंदर देखने लायक हिल स्टेशन है। माउंट आबू को ‘अर्बुदरान्य’ भी कहा जाता है । जिसका नाम नाग देवता ‘अर्बुदा’ के नाम पर पड़ा। भगवान शिव के बैल नंदी की रक्षा करने के लिए नागदेवता इस पहाड़ी के नीचे आए थे। अर्बुदारन्य का नाम बाद में बदलकर ‘अबू पर्वत’ या ‘माउंट आबू’ कर दिया गया। ऐतिहासिक रूप से यह स्थान गुर्जरों या गुज्जरों द्वारा बसाया गया है। संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहां यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहां आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल बना हुआ है।
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कहा जाता है कि रसिया बालम नाम के व्यक्ति ने अपने नाखूनों से नक्की झील का निर्माण किया था । रसिया बालम प्राचीन समय में माउंटआबू में काम करने के लिए गया था और उसे वहां राजकन्या से प्यार हो गया और फिर राजकन्या के पिता ने शर्त रखी कि अपने नाखूनों से एक ही रात में झील बना सकती हो तो मैं अपनी कन्या का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगा और कन्या को पाने के लिए रसिया बालम ने इस झील का निर्माण किया था । वर्तमान में नक्की झील एक देखने लायक और सुंदर पर्यटन स्थल है । लोग वहां वोटिंग करने के लिए जाते हैं ।वहां घूमने के लिए जाते हैं ।इस झील में लोग गर्मियों के मौसम में ज्यादातर जाते हैं।
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मेंढक के आकार से मिलती चट्टान को देखकर यूँ प्रतीत होता है जेसे यह मेंढक अभी झील में कूद पड़ेगा । इसी के पास एक और चट्टान है जिसे नन रौक के नाम से जाना जाता है यह चट्टान घूँघट निकाले हुई स्त्री के समान दिखती है । ये दोनों चट्टानें दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं ।
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माउन्ट आबू से उत्तर दिशा में अचलगढ़ की पहाड़ियों है । और वहा भगावन शिव का मंदिर है । एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर है। स्कंद पुराण के मुताबिक वाराणसी शिव की नगरी है तो माउंट आबू भगवान शंकर की उपनगरी । अचलेश्वर माहदेव मंदिर माउंट आबू से लगभग 11 किलोमीटर दूर अचलगढ़ है ।
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माउंट आबू से 15 किमी.दूर गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है। पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर की शांति दिल को छू लेती है। गुरू दत्तात्रय मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो इस पर्वत के ऊपर स्थित है। भगवान दत्तात्रय को समर्पित है जो दिव्य त्रिमूर्ति भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। इस पर्वत पर स्थित अन्य मंदिर शिव मंदिर, मीरा मंदिर और चामुंडी मंदिर है।
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