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पर्यटकों से गुलजार हुआ चमोली

Published: Nov 29, 2017 09:44:46 am

Submitted by:

Deovrat Singh

Tourist Place chamoli : उत्तराखंड के चमोली में इन दिनों हुर्इ बर्फबारी ने जिले के पर्यटन को चारचांद लगा दिए हैं। सर्दी के मौसम में भी बर्फीले नजारों..

Tourist Place chamoli

Tourist Place chamoli

Tourist Place chamoli : उत्तराखंड के चमोली में इन दिनों हुर्इ बर्फबारी ने जिले के पर्यटन को चारचांद लगा दिए हैं। सर्दी के मौसम में भी बर्फीले नजारों के शौकिन पर्यटकों से चमोली जिला गुलजार हो गया है।
बर्फबारी से ढ़की इन चोटियां को देखने के लिए देशी-विदशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। चमोली जनपद में नंदा देवी, नीलकंठ, हाथी घोड़ा पालकी, त्रिशूल, कामेट, घांघरिया आदि पर्वत श्रृंखलाएं इन दिनों बर्फ से ढ़की हुर्इ हैं। जिन्हें देखने के लिए पर्यटक बरबस ही खींचा चला जाता हैं।

चमोली की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर हमेशा से ही आकर्षित करती रही है। पूरे चमोली जिले में कई ऐसे मंदिर है जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चमोली में ऐसे कई बड़े और छोटे मंदिर है तथा ऐसे कई स्थान है जो रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस जगह को चाती कहा जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है। अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है। चमोली का क्षेत्रफल 3,525 वर्ग मील है।
जोशीमठ में संचालित हिमालयन ट्रै¨कग एजेंसी के प्रबंधक संजय कुंवर का कहना है कि लार्ड कर्जन ट्रैक पर इन दिनों पर्यटकों की अच्छी खासी चहलकदमी हो रही है। उन्होंने बताया कि इस ट्रैक के अलावा देहलीसेरा में भी काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
चामोली में की प्रसिद्घ स्थलः
बद्रीनाथ- बद्रीनाथ देश के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह चार धामों में से एक धाम है। श्री बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। इसके बाद इसका निर्माण दो शताब्दी पूर्व गढ़वाल राजाओं ने करवाया था। बद्रीनाथ तीन भागों में विभाजित है- गर्भ गृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप।
तपकुण्ड-अलखनंदा नदी के किनार पर ही तप कुंड स्थित कुंड है। इस कुंड का पानी काफी गर्म है। इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस गर्म पानी में स्नान करना जरूरी होता है। यह मंदिर प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई माह में खुलता है। सर्दियों के दौरान यह नवम्बर के तीसर सप्ताह में बंद रहता है। इसके साथ ही बद्रीनाथ में चार बद्री भी है जिसे सम्मिलित रूप से पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। यह अन्य चार बद्री- योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्धा बद्री है।
हेमकुंड साहिब-हेमकुंड को स्न्रो लेक के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां बर्फ से ढके सात पर्वत हैं, जिसे हेमकुंड पर्वत के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त तार के आकार में बना गुरूद्वारा जो इस झील के समीप ही है सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यहां विश्‍व के सभी स्थानों से हिन्दू और सिख भक्त काफी संख्या में घूमने के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुरू गोविन्द सिंह जी, जो सिखों के दसवें गुरू थे, यहां पर तपस्या की थी। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर है।

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