पुष्कर के उद्धव का वर्णन प्रद्मपुराण में मिलता है। कहा जाता है, ब्रह्मों ने यहां आकार यज्ञ किया था। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थानों में पुष्कर ही ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है। ब्रह्मा के मंदिर के अरिक्ति यहां सावित्री, बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर है, कितु वे आधुनिक हैं। यहां के प्राचीन मंदिरों को मुगल सम्राट औंरगजेब ने नष्टभ्रष्ट कर दिया था। पुष्कर झील के तट पर जगह-जगह पक्के घाट बने हैं जो राजपूताना के देशी राज्यों के धनीमानी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हैं। पुष्कर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है। सर्ग 62 श्लोक 28 में विश्वामित्र के यहां तप करने की बात कही गई है। सर्ग 63 श्लोक 15 के अनुसार मेनका यहां के पावन जल में स्नान के लिए आई थीं।