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देश के इकलौते ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करने हैं तो करें पुष्कर की यात्रा

ब्रह्मा मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शहर अजमेर में पुष्कर झील के किनारे पर स्थित है

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Bhup Singh

Dec 12, 2015

Pushkar

Pushkar

पुष्कर राजस्थान में विख्यात तीर्थस्थान है जहां प्रतिवर्ष प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है। यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। यहां ब्रह्मा का एक मन्दिर है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब। पुष्कर अजमेर शहर से 14 की.मी दूरी पर स्थित है। राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहां से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र-शस्त्र मिले हैं, जो उस युग में यहां पर मानव के क्रिया-कलापों की ओर संकेत करते हैं।

इतिहास
पुष्कर के उद्धव का वर्णन प्रद्मपुराण में मिलता है। कहा जाता है, ब्रह्मों ने यहां आकार यज्ञ किया था। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थानों में पुष्कर ही ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है। ब्रह्मा के मंदिर के अरिक्ति यहां सावित्री, बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर है, कितु वे आधुनिक हैं। यहां के प्राचीन मंदिरों को मुगल सम्राट औंरगजेब ने नष्टभ्रष्ट कर दिया था। पुष्कर झील के तट पर जगह-जगह पक्के घाट बने हैं जो राजपूताना के देशी राज्यों के धनीमानी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हैं। पुष्कर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है। सर्ग 62 श्लोक 28 में विश्वामित्र के यहां तप करने की बात कही गई है। सर्ग 63 श्लोक 15 के अनुसार मेनका यहां के पावन जल में स्नान के लिए आई थीं।

सांची स्तूप दानलेखों में, जिनका समय ई. पू. दूसरी शताबदी है, कई बौद्ध भिक्षुओं के दान का वर्णन मिलता है जो पुष्कर में निवास करते थे। पांडुलेन गुफा के लेख में, जो ई. सन् 125 का माना जाता है, उषमदवत्त का नाम आता है। यह विख्यात राजा नहपाण का दामाद था और इसने पुष्कर आकर 3000 गायों एवं एक गाँव का दान किया था। इन लेखों से पता चलता है कि ई. सन् के आरंभ से या उसके पहले से पुष्कर तीर्थस्थान के लिए विख्यात था। स्वयं पुष्कर में भी कई प्राचीन लेख मिले है जिनमें सबसे प्राचीन लगभग 925 ई. सन् का माना जाता है। यह लेख भी पुष्कर से प्राप्त हुआ था और इसका समय 1010 ई. सन् के आसपास माना जाता है।

पुष्कर के मुख्य आकर्षण
पुष्कर झील, मेड़ता, मन महल, ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर में ऊंट की सवारी।
ब्रह्मा मंदिर
ब्रह्मा मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शहर अजमेर में पुष्कर झील के किनारे पर स्थित है। यह भारत के उन कुछ गिने-चुने मंदिरों में से एक है, जो हिन्दूओं के भगवान ब्रह्मा को समर्पित हैं। पुष्कर में ब्रह्मा जी का यह मंदिर मूल रूप से 14वीं सदी में बनाया गया था। पुष्कर को तीर्थों का मुख माना जाता है। जिस प्रकार प्रयाग को तीर्थराज कहा जाता है, उसी प्रकार से इस तीर्थ को पुष्करराज कहा जाता है। पुष्कर की गणना पंचतीर्थों व पंच सरोवरों में की जाती है। पुष्कर सरोवर तीन हैं -

ज्येष्ठ (प्रधान) पुष्कर
मध्य (बूढ़ा) पुष्कर
कनिष्क पुष्कर।

ज्येष्ठ पुष्कर के देवता ब्रह्माजी, मध्य पुष्कर के देवता भगवान विष्णु और कनिष्क पुष्कर के देवता रुद्र हैं। पुष्कर का मुख्य मन्दिर ब्रह्माजी का मन्दिर है। जो कि पुष्कर सरोवर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। मन्दिर में चतुर्मुख ब्रह्म जी की दाहिनी ओर सावित्री एवं बायीं ओर गायत्री का मन्दिर है। पास में ही एक और सनकादि की मूर्तियां हैं, तो एक छोटे से मन्दिर में नारद जी की मूर्ति। एक मन्दिर में हाथी पर बैठे कुबेर तथा नारद की मूर्तियां हैं।

पूरे भारत में केवल एक यही ब्रह्मा का मन्दिर है। इस मन्दिर का निर्माण ग्वालियर के महाजन गोकुल प्राक् ने अजमेर में करवाया था। ब्रह्मा मन्दिर की लाट लाल रंग की है तथा इसमें ब्रह्मा के वाहन हंस की आकृतियां हैं। चतुर्मुखी ब्रह्मा देवी गायत्री तथा सावित्री यहां मूर्तिरूप में विद्यमान हैं। हिन्दुओं के लिए पुष्कर एक पवित्र तीर्थ व महान पवित्र स्थल है।


प्रसिद्ध पुष्कर मेला

अजमेर से 11 किमी दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को पुष्कर मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं। राज्य प्रशासन भी इस मेले को विशेष महत्व देता है। स्थानीय प्रशासन इस मेले की व्यवस्था करता है एवं कला संस्कृति तथा पर्यटन विभाग इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयाजन करते हैं।

पुष्कर क्षेत्र के विशेष आकर्षण
पुष्कर झील
पुष्कर झील राजस्थान के अजमेर नगर से ग्यारह किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
मान्यता के अनुसार इसका निर्माण भगवान ब्रह्मा ने करवाया था, तथा इसमें बावन स्नान घाट हैं। इन घाटों में वराह, ब्रह्म व गऊ घाट महत्त्वपूर्ण हैं।
वराह घाट पर भगवान विष्णु ने वराह अवतार (जंगली सूअर) लिया था।
पौराणिक सरस्वती नदी कुरुक्षेत्र के समीप लुप्त हो जाने के बाद यहां पुन: प्रवाहित होती है। ऐसी मान्यता है कि श्रीराम ने यहां पर स्नान किया था। लघु पुष्कर के गव कुंड स्थान पर लोग अपने दिवंगत पुरखों के लिए अनुष्ठान करते हैं।
भगवान ब्रह्मा का समर्पित पुष्कर में पांच मन्दिर हैं— ब्रह्मा मन्दिर, सावित्री मन्दिर, बद्रीनारायण मन्दिर, वराह मन्दिर व शिवआत्मेश्वरी मन्दिर।

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