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मुस्कुराने से अरुण गोविल को मिला था राम का रोल, 37 साल बाद भी बने हैं ‘भगवान’

रामायण में ‘राम’ की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को राम का रोल मिलने का किस्सा बड़ा ही रोचक है। केवल एक मुस्कुराहट ने उन्हें भगवान राम का रोल दिला दिया था। आइए जानते हैं उन्हें यह भूमिका कैसे मिली?

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Arun Govil got the role of Ram in ramayan by smiling

सोमवार 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की। इस दौरान बॉलीवुड और टॉलीवुड के कई सितारें अयोध्या में मौजूद रहे। प्राण प्रतिष्ठा के दो दिन पहले ही रामानंद सागर की रामायण के राम, लक्ष्मण और सीता अयोध्या पहुंच गए थे।

रामायण के ‘राम’ का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को इसी सीरियल से पहचान मिली। जिसके बाद लोग उन्हें राम के ही रूप में देखने लगे। आज भी लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं। अरुण गोविल ने राम का ऐतिहासिक किरदार निभाया जो लोगों के दिलों में 37 सालों बाद भी बसा हुआ है। लेकिन क्या आपको पता है, उन्हें यह रोल कैसे मिला? आइये बताते हैं अरुण गोविल को राम का रोल कैसे मिला। इसके पीछे एक रोचक कहानी है।


पहली बार हो गए थे रिजेक्ट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब राम के किरदार के लिए अरुण गोविल ने ऑडिशन दिया तो पहले उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। उन्हें रिजेक्ट करने के पीछे का कारण उनका स्मोकिंग करना बताया जाता है। क्योंकि शो के डायरेक्टर रामानंद सागर का मानना था कि जो व्यक्ति स्मोकिंग करता है उसे राम का रोल कैसे दिया जा सकता है। हालांकि अरुण गोविल की मुस्कान की वजह से उन्हें यह रोल बाद में मिल गया था।

मुस्कान ने दिला दिया रोल

पहली बार के ऑडिशन में रिजेक्ट होने के बाद सूरज बड़जात्या ने उनसे कहा कि वो अपने मुस्कुराहट का इस्तेमाल करें। सूरज बड़जात्या की कही ये बात काम कर गई। लुक टेस्ट के दौरान अरुण गोविल की मुस्कुराहट रामानंद सागर को इस कदर पसंद आया की उन्हें राम का रोल दे दिया। अरुण गोविल ने उन्हे यह विश्वास दिलाया कि वो सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाएंगे और इसके बाद उन्होंने स्मोकिंग छोड़ दी। इस रोल ने उन्हें एक अलग पहचान दे दी। जिसके लोग उन्हें भगवान की तरह अब तक मानते हैं। वह जहां भी जाते हैं लोग उनके पांव छू लेते हैं।