प्रश्न- दिल्ली की रामलीला(Ram leela) में भी आपको देखा जाता है। यह फिल्मों और टीवी से बहुत कितनी अलग है ?
उत्तर- दिल्ली की रामलीला बहुत बड़े स्तर पर होती है। वहां पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी आते हैं। इस दौरान हमारा सबसे बड़ा टेस्ट होता है। लाखों की ऑडियंस होती है। सेट पर ही आपको सब करना पड़ता है। अगर आप स्टेज पर आ गए हैं तो आप बोलते रहना है। हमें माइक्रोफोन दिए जाते हैं, जिससे डायलाग की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है। वहां कोई कोरियोग्राफी नहीं होती है। वहां हमें 5-7 दिन के लिए बुलाया जाता है। 5-7 दिन में रामायण की लाइन्स याद करना संभव नहीं होता।
प्रश्न- आपने लंबे समय तक हनुमान का किरदार निभाया है, ‘आदिपुरुष’(Adipurush) पर कुछ कहना चाहेंगे?
उत्तर- मैंने यह फिल्म नहीं देखी, क्योंकि फिल्म में रामायाण को गलत तरीके से दिखाया गया है। किसी ने भी भगवान को नहीं देखा है। लेकिन पुराने समय से लोग उनके स्वरुप को बता रहे हैं और वैसा ही स्वरुप चलता आ रहा है। अगर हम उसको भी आधुनिक बना दें तो इसका अर्थ यह नहीं होता की हम भगवान में आस्था रखते है। यह आधुिनकता स्वीकार्य नहीं होगी। कुछ बदलाव स्वीकार किए जा सकते हैं।
प्रश्न- रीजनल सिनेमा में भी आपने काम किया है, रीजनल सिनेमा को बड़ी फिल्मों से नुकसान होता है?
उत्तर- रीजनल सिनेमा(Regional Cinema) के साथ काफी परेशानी आती है। जब बड़ी फिल्में रिलीज होती हैं तो उनको स्क्रीन नहीं मिलती। हालांकि, ओटीटी पर वो रिलीज हो जाती हैं पर जिससे उनको नुकसान कम होता है।
प्रश्न- टीवी शो(TV Show) में लुक्स और फिटनेस कितना महत्व रखते हैं?
उत्तर- मैंने जितने भी शोज किए हैं सारे माइथोलॉजिकल ही किए हैं। लुक्स इसलिए महत्व रखता है की छोटे बच्चे कनेक्ट हो पाते हैं। दर्शक स्टाइलिश देखना पसंद करते हैं। लेकिन इतना भी नहीं की गलत ही दिखाया जाए। जो भी दिखाइए किरदार के अनुसार दिखाएं।
प्रश्न- हनुमान के किरदार ने आपके जीवन पर क्या प्रभाव डाला है ?
उत्तर- बहुत प्रभाव आया है, क्योंकि हनुमान का किरदार ही ऐसा है और आजकल तो इसपर चर्चा भी बहुत हो रही है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है। लेकिन अब यह नेगेटिव किरदार हिरण्यकश्यप का मिला है और यह काफी लाइव कैरेक्टर है। मैं चाहता था कि मेरी पुरानी छवि टूटे।