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संगीत की दुनिया के सरताज रवींद्र जैन को रामायण ने कर दिया अमर, घर-घर में गूंजने लगी थी उनकी आवाज़..

पैदाइशी नेत्रहीन रवींद्र जैन(Ravindra Jain) ने रामानंद सागर की रामायण को अपने सुरों से बखूबी सजाया था उत्तर कांड में लव कुश के जरिए 'हम कथा सुनाते पुण्य सकल गुणधाम की' जैसे भजन को गाकर उनकी अवाज अमर हो गई

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नई दिल्ली। 33 साल पहले टीवी पर आने वाला शो रमायण हर किसी की पहली पसंद बना था और आज भी लोग इस धारावाहिक को देखना उतना ही पसंद करते है इस धारावाहिक में हर कलाकार ने अपने किरदार को निभाते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। लेकिन इसी के बीच सबसे खास छवि बनाई थी संगातकार रवीन्द्र जैन(Ravindra Jain) ने। जिनकी आवाज़ का जादू रामायण शुरू होते ही बोलने लगता था और हर घर में उनकी आवाज़ गूंज उठती थी। भले ही इस संगीतकार की आखों में रोशनी नही थी लेकिन उन्होंने रामायण में अपनी आवाज़ देकर हर घर में संगीत का उजाला फैला दिया था।

आज भले ही रवीन्द्र जैन इस दुनिया में नही हैं लेकिन रामायण ने उन्हें अमर बना दिया। उन्होनें रामायण की कई चौपाईयों को अपनी आवाज दी थी।

रवीन्द्र जैन ऐसे इंसान थे जिन्होने पिता के कहे मार्ग पर चलकर वह सब कुछ हासिल किया, जिसके वह हकदार थे। उन्होंने दुनिया को अपने मन की दृष्टि से देखा, समझा और अपने ही रचे गीतों को मधुर धुनों से सजाया।

रामानंद सागर की रामायण में उनकी मधुर आवाज हर किसी को उनके सुर में बंध जाने के लिए मजबूर कर देती थी। लेकिन इनके आवाज का जादू उस समय कमजोर पड़ गया जब उन्हें हार्ट अटैक आ जाने से मुंबई में 71 साल की उम्र में साल 2015 में निधन हो गया था। दुनिया उनके मधुर गीतों के लिए हमेशा उनकी ऋणी रहेगी।