
उदयपुर . प्रदेश के 2104 दानदाताओं ने शिक्षा के लिए अपनी पोटली खोल दी है। अब तक इन भामाशाहों ने 16 करोड़ 56 लाख 82 हजार 806 रुपए दान दिए हैं। ये दान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए बच्चों के भविष्य निर्माण में सहयोग कर रहा है। खास बात यह है कि कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री विद्यादान कोष में अपनी राशि जमा कर शिक्षा की ज्योत से उजियारा फैला नई इबारत लिख सकता है। राज्य सरकार ने इसके लिए बकायदा पांच कार्यक्रम व अन्य प्रोजेक्ट तैयार किए हैं।
व्यक्तिगत दान या कॉरपोरेट दानदाता
इसमें कोई व्यक्ति विशेष या कोई कॉरपोरेट कंपनी अपनी मर्जी से दान कर सकती है। भारतीय हो या एनआरआई, सभी के लिए यह लागू हो सकेगा।
ये है पांच बड़े बिन्दू
एडप्ट ए स्कूल
स्कूल गोद लेने के लिए सरकार ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को जोड़ रखा है। कोई भी व्यक्ति अपनी रु चि के आधार पर ये स्कूल गोद ले सकता है। किसी भी जिले में 100,100-250 और 250 से ऊपर के नामांकन वाले स्कूल को ले सकेगा। इसकी राशि न्यूनतम 1 करोड़, 1 से पांच करोड़ व पांच करोड़ से ऊपर रखी गई है।
क्रिएट योर ऑन प्रोजेक्ट
इसमें दानदाता की इच्छा अनुसार स्कूली आधारभूत सुविधाओं, डिजिटल व्यवस्थाओं, छात्रावासों के लिए, बच्चों की सुविधा विशेष, खेल गतिविधियों पर दान दिया जा सकता है। इसमें स्वयं, पार्टनर के साथ वह अपने स्तर पर तय करेगा।
मुख्यमंत्री विद्यादान कोष
राज्य सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों को उत्कृष्ट संस्थानों में विकसित करने की कल्पना की ताकि राज्य में हर बच्चे को उच्च गुणवत्तायुक्त माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचाया जा सके। 9949 ग्राम पंचायतों में एक-एक आदर्श स्कूल बनाने के लिए इसकी जरूरत है। इसके लिए मिशन 2020 तैयार किया है।
सपोर्ट अ प्रोजेक्ट
राजस्थान में हर आदर्श स्कूल में एक डिजिटल कक्षा का निर्माण कर सीखने के अनुभव में प्रौद्योगिकी के लिए मिशन तैयार किया गया है। आईसीटी के बुनियादी ढांचे से विद्यार्थियों को सशक्त बनाना और शिक्षकों को व्यक्तिगत और छात्र-केंद्रित शिक्षा प्रदान करना है। इसमें अब तक 24 करोड़, 76 लाख 32 हजार का लक्ष्य है, लेकिन अब तक केवल चार दानदाताओं ने 3800 रुपए दान दिए हैं। इसमें बालिकाओं के छात्रावास की आधारभूत सुविधाओं के लिए 20 करोड़, 18 लाख 50 हजार रुपए का लक्ष्य है, जबकि अब तक एक भी दानदाता नहीं मिला। प्रदेश में बच्चों के लिए स्कूल भवन निर्माण के लिए 17 करोड़, 51 लाख 30 हजार रुपए का लक्ष्य है, जबकि केवल 500 रुपए दान में मिले हैं। छात्राओं की खेल गतिविधि के लिए 11 करोड़ 28 लाख 75 हजार रुपए का लक्ष्य है, इसमें अब तक एक पैसा नहीं मिला।
डोनेट टू अ स्कूल
ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति पूरे प्रदेश में अपनी मनचाही स्कूल को चयनित कर ऑनलाइन दान दे सकता है। उसकी मंशा पर उसका नाम बकायदा ऑनलाइन पब्लिक पोर्टल पर दर्ज रहेगा।
जिला कलक्टर के माध्यम से बड़े व्यवसायियों की बैठक होती है तो इसका लाभ जरूर मिलेगा। ऑनलाइन दान देने में ज्यादा आसानी रहती है। बड़े दानदाताओं को पूरी जानकारी देने का फायदा जरूर मिल सकता है। वैसे उदयपुर में दानदाताओं की कमी नहीं है।
भरत मेहता, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा उदयपुर
जब मैं प्राचार्य था तब फतह स्कूल में पुराने छात्रों का हमने सम्मेलन किया था, इसमें कई बड़ी प्रतिभाएं निकली। ऐसे में जो बड़े नाम थे, उनमें से कई दानदाता आगे आए उन्होंने स्कूल में पैसा खर्च किया। हर स्कूल इस योजना को पूर्व छात्र परिषद बनाकर लागू कर सकता है। भावनात्मक संबंध हर स्कूल के लिए विद्यार्थी के होते हैं।
शिवजी गौड़, उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा
Published on:
27 Feb 2018 01:55 pm
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